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दुकानों पर लिखने होंगे दुकान मालिकों के नाम…, यूपी सरकार के आदेश पर सियासी घमासान

Political statements on nameplate order :  यूपी सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा रूट पर दुकान और रेहड़ी मालिकों को एक निर्देश जारी किया है. इसके तहत सभी दुकानों पर मालिक की नेमप्लेट लगाना अनिवार्य कर दिया है. मुजफ्फरनगर में यह आदेश सबसे पहले जारी किया गया. अब पूरे यूपी में कांवड़ यात्रा मार्ग पर इस आदेश के अनुपालन को कहा गया है. आदेश में कहा गया कि इस मार्ग में खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकान मालिकों के नाम और पहचान लिखनी होगी. प्रदेश सरकार के इस आदेश पर अब सियासी घमासान शुरू हो गया है.

बीजेपी के सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग प्रमुख अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत की ‘धर्मनिरपेक्षता’ इतनी कमजोर नहीं हो सकती है कि सभी भोजनालयों को मालिक व श्रमिकों के नाम और संपर्क नंबर प्रदर्शित करने के लिए जारी एक समान आदेश इसे नुकसान पहुंचाए.’

इससे बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है, वहां ऐसा कोई आदेश नहीं : केसी त्यागी

वहीं दिल्ली में उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगाने के निर्देश पर JDU प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने कहा, इससे बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी की जो व्याख्या भारतीय समाज, NDA के बारे में है ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’, यह प्रतिबंध इस नियम के विरुद्ध है। बिहार में नहीं (आदेश) है, राजस्थान से कांवड़ गुजरेगी वहां नहीं है। बिहार का जो सबसे स्थापित और झारखंड का मान्यता प्राप्त धार्मिक स्थल है वहां नहीं है। इसपर पुनर्विचार हो तो अच्छा है।

यह स्वागत योग्य कदम : दिनेश शर्मा

लखनऊ में उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य कदम है और लोगों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द्र बढ़े, इस भावना के साथ सरकार ने यह आदेश जारी किया है। इस आदेश में यह नहीं कहा गया है कि किसे कहां से सामान खरीदना है, जो जहां से चाहे वहां से सामान खरीद सकता है. दुकान के नीचे लगभग 40-50% लोग अपने मालिक का नाम लिखते हैं, मैं समझता हूं कि जो संविधान की व्यवस्था है उसमें धार्मिक आस्था का सम्मान और सरंक्षण का जो भाव दिया है उसके अंतर्गत यह एक बेहतर प्रयत्न है. हिंदू और मुसलमान मिलकर चलें, रामलीला में मुसलमान पानी पिलाते हैं तो लोग पीते हैं, ईद में हिंदू लोग उनका स्वागत करते हैं इसमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जो व्रत, त्योहार, कांवड़ यात्रा के कुछ नियम हैं उनका उल्लंघन न हो… इस नीयत से यह निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है।

ऐसे आदेश सामाजिक अपराध : अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि …और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।

यह भारतीय तहजीब पर हमला : कांग्रेस

कांग्रेस ने इस आदेश को भारतीय तहजीब पर हमला बताया. पवन खेड़ा ने कहा कि इस आदेश के पीछे बीजेपी और आरएसएस की मंशा हिंदू-मुसलमान की पहचान करना है. यह भी हो सकता है कि यह जाति के बारे में पता करना चाहते हों. दलित कौन है? AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आदेश को भेदभावपूर्ण करार दिया है.

आदेश पूर्णतः असंवैधानिक : मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि यूपी व उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कावंड़ मार्ग के व्यापारियों को अपनी-अपनी दुकानों पर मालिक व स्टाफ का पूरा नाम प्रमुखता से लिखने व मांस बिक्री पर भी रोक का यह चुनावी लाभ हेतु आदेश पूर्णतः असंवैधानिक। धर्म विशेष के लोगों का इस प्रकार से आर्थिक बायकाट करने का प्रयास अति-निन्दनीय।

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