
Citizenship Act : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। नागरिकता कानून की धारा 6A पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6ए उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है जो जुलाई 1949 के बाद प्रवासित हुए, लेकिन नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि S6A उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है, जो 1 जनवरी 1966 से पहले प्रवासित हुए थे। इस प्रकार यह उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है जो अनुच्छेद 6 और 7 के अंतर्गत नहीं आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6A (3) का उद्देश्य दीर्घकालिक समाधान प्रदान करना है. असम समझौता वहां के निवासियों के अधिकारों को कमजोर करना था. बांग्लादेश और असम समझौते के बाद प्रावध प्रावधान का उद्देश्य भारतीय नीति के संदर्भ में समझा जाना चाहिए।
आगे कोर्ट ने कहा कि इसे हटाने से वास्तविक कारणों की अनदेखी होगी. भारत में नागरिकता प्रदान करने के लिए पंजीकरण व्यवस्था जरूरी नहीं है। S 6A को सिर्फ इसलिए अमान्य नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह पंजीकरण व्यवस्था का अनुपालन नहीं करता है।
ये है धारा 6A
जानकारी के लिए बता दें कि सिटीजन शिप एक्ट की धारा 6 A को लेकर फैसला सुनाया गया है। इस धारा में है कि जो 25 मार्च 1971 से पहले असम आए। भारतीय नागरिकता प्राप्त करनी है तो पंजीकरण कराना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी।
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