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बंद हुए लगभग सभी प्रमुख मंडियों के दरवाजे, क्यों किसानों से ट्रेडर्स नहीं खरीद रहे हैं बासमती?

हाल ही में देश के कई राज्यों में ट्रेडर्स ने विरोध प्रदर्शन किया है। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ट्र्रेडर्स का विरोध दिखाई दे रहा है, जहां करीब 300 थोक मंडियों में बासमती की बिक्री बंद है। किसानों को इससे नुकसान हो रहा है।

300 मंडियों में खरीद पर असर

ETN की एक रिपोर्ट के अनुसार, बासमती एक्सपोर्टर्स और मिलर्स का यह संघर्ष हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत प्रभावी है। किसानों से बासमती की खरीद तीनों राज्यों में लगभग 300 थोक मंडियों में रुक गई है। शनिवार से ट्रेडरों ने किसानों से बासमती खरीदना बंद कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेडर्स एमईपी (केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम दर) का विरोध कर रहे हैं।

सरकार ने यह कदम क्यों उठाया

केंद्रीय सरकार ने बासमती के निर्यात के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य 1,200 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया है। सरकार ने अवैध निर्यात को नियंत्रित करने के लिए बासमती के निर्यात को 1,200 डॉलर प्रति टन से कम दर पर रोकने की घोषणा की। वहीं ट्रेडर्स कहते हैं कि सरकार द्वारा निर्धारित एमईपी बहुत अधिक है। इससे भारतीय बासमती व्यापारियों की वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी। ट्रेडरों ने एमईपी कम करने की मांग की है। उसने इस मांग को पूरा करने के लिए थोक मंडियों में बासमती धान और चावल खरीदना बंद कर दिया है।

ट्रेडर्स ने किया ये दावा

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने ट्रेडर्स को वादा किया था कि एमईपी को कम किया जाएगा। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेटिया के हवाले से बताया गया है कि ट्रेडर्स के साथ सरकार ने 25 सितंबर को वर्चुअली एक बैठक की थी। बैठक में भरोसा दिया गया था कि बासमती पर एमईपी को घटाकर 900 डॉलर प्रति टन कर दिया जाएगा। हालांकि अब तक ऐसा नहीं किया गया है। इसी कारण ट्रेडर्स ने विरोध जताते हुए खरीद बंद करने का फैसला लिया है।

सरकार की समीक्षा

दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि एमईपी बासमती पर विचार कर रहा है। इस बारे में रविवार को खाद्य मंत्रालय ने एक बयान जारी किया। मंत्रालय ने बयान में कहा कि एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स अथॉरिटी समीक्षा कर रही है। मंत्रालय ने कहा कि एमईपी को लेकर ट्रेडर्स का पक्ष सुनाया गया है और उनकी मांगों पर विचार चल रहा है।

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