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दो पैन कार्ड मामले में सपा नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को 7 साल की सजा

Rampur : सपा नेता आजम खां और उनके बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को रामपुर कोर्ट ने दो पैन कार्ड मामले में 7 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. दोनों पर आरोप था कि उन्होंने दोहरे पैन कार्ड बनाए और उनका इस्तेमाल कर कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त रहे.

अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद, सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर फैसला सुनाया. फैसला सुनाने के बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों (आजम खां और अब्दुल्ला आजम) को फैसले के बाद तुरंत कस्टडी में ले लिया. बता दें कि यह फैसला न सिर्फ कानूनी दुनिया में बल्कि यूपी की राजनीति में भी बड़ा तूफ़ान खड़ा करने वाला माना जा रहा है.

मामला क्या था?

दरअसल, यह पूरा मामला दो अलग-अलग पैन कार्ड रखने और उनका दुरुपयोग करने से जुड़ा था. जांच एजेंसियों के अनुसार, आजम खां और उनके बेटे पर आरोप था कि उन्होंने अलग-अलग पहचान का उपयोग कर, कर  व्यवस्था में हेरफेर किया. यह जानकारी सामने आने के बाद इस मामले की सुनवाई कई महीनों तक चली, जिसमें दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखे. हालांकि, अदालत ने उपलब्ध दस्तावेज़ों, गवाहियों और तकनीकी सबूतों के आधार पर दोनों को दोषी पाया.

अदालत का फैसला और सजा

सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि दो पैन कार्ड रखना न सिर्फ अवैध है बल्कि यह वित्तीय पारदर्शिता और पहचान सत्यापन से संबंधित कानूनों का गंभीर उल्लंघन है. अदालत ने इसे एक ऐसा मामला बताया जो जनप्रतिनिधियों पर लागू नैतिक मानदंडों का भी उल्लंघन दर्शाता है. दोनों को 7-7 साल की सजा सुनाई गई है, हालांकि कानूनी प्रक्रिया के तहत उन्हें उच्च अदालत में अपील का पूरा अधिकार होगा.

राजनीतिक भूचाल

उल्लेखनीय है कि आजम खां पहले से ही कई कानूनी मामलों का सामना कर रहे हैं, लेकिन यह फैसला उनके राजनीतिक भविष्य पर भारी पड़ सकता है. रामपुर की राजनीति हमेशा से आजम खां के इर्द-गिर्द घूमती रही है, ऐसे में इस फैसले का असर आने वाले चुनावों पर साफ दिख सकता है.

अब्दुल्ला आजम, जो युवा नेताओं में गिने जाते हैं, पहले भी कई विवादों से जुड़ चुके हैं. यह सजा उनकी सियासी जमीन को और कमजोर कर सकती है.

सपा ने अभी इस फैसले पर कोई बड़ा आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन पार्टी के भीतर इसे एक राजनीतिक टारगेटिंग के रूप में भी देखा जा रहा है. दूसरी ओर, बीजेपी नेता इस फैसले को कानून की जीत बता रहे हैं.

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