
Money Laundering Case : मुंबई की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट (MP MLA Court) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गंभीर आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने माना कि मामले में प्रथम दृष्टया में ऐसे सबूत मौजूद हैं, जिनके आधार पर आरोप तय किए जा सकते हैं।
डिस्चार्ज एप्लिकेशन खारिज, कंपनी भी बनी आरोपी
नवाब मलिक से जुड़ी कंपनी मलिक इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा दायर डिस्चार्ज एप्लीकेशन को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। हालांकि इस कंपनी ने दावा किया था कि जब कथित अवैध गतिविधि हुई, तब कंपनी का अस्तित्व ही नहीं था। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया।
डी-कंपनी से अवैध कमाई का आरोप
कोर्ट ने अपने अवलोकन में कहा कि नवाब मलिक पर यह आरोप है कि उन्होंने डी-कंपनी (दाउद कंपनी) से जुड़े हसीना पारकर, सलीम पटेल और आरोपी सरदार खान के साथ मिलकर अवैध रूप से हासिल की गई संपत्ति की मनी लॉन्ड्रिंग की। कोर्ट ने इसे “अपराध की आय” माना है।
नवाब मलिक ने आरोप तय करने की प्रक्रिया को 6 हफ्ते आगे बढ़ाने की मांग की और खुद को निर्दोष बताते हुए राहत मांगी। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार 4 हफ्तों के भीतर आरोप तय करना अनिवार्य है, इसलिए प्रक्रिया स्थगित नहीं हो सकती।
एक अन्य आरोपी का बयान जेल में दर्ज होगा
मामले के एक और आरोपी, जो 1993 के बम धमाकों में सजा काट रहा है, आज कोर्ट में पेश नहीं हो सका। इसलिए कोर्ट ने उसके लिए आरोपों से जुड़े दस्तावेज जेल भेजने और वहीं उसका बयान दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
PMLA की धारा 3, 4 और 17 के तहत आरोप
स्पेशल कोर्ट ने नवाब मलिक के खिलाफ PMLA Act 2002 की धारा 3, 4 और 17 के तहत आरोप तय किए हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े गंभीर अपराधों को कवर करती हैं।
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