विदेश

अमेरिका में जन्माष्टमी से पहले हिंदू मंदिर में तोड़फोड़, भारत विरोधी नारे लिखे गए

America Temple Attack : अमेरिका में हिंदू धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर की जा रही लगातार हमलों की शृंखला में एक और घटना इस सप्ताह भरी दुनिया का ध्यान खींचने में कामयाब रही. इंडियाना के ग्रीनवुड शहर में स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर के मुख्य साइनबोर्ड को इस हफ्ते की शुरूआत में क्षतिग्रस्त पाया गया. पिछले एक साल में इस मंदिर पर यह चौथा हमला है, जो कि हिंदू समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए गहरी चिंता का विषय बन चुका है.


एकजुटता का आग्रह

इस हमले की गंभीरता को देखते हुए, शिकागो स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने तुरंत इस घटना की कड़ी निंदा की. उन्होंने इसे “निंदनीय” बताते हुए, स्थानीय अधिकारियों से शीघ्र और सुनियोजित कार्रवाई की मांग की. वाणिज्य दूतावास ने मंदिर प्रबंधन के साथ मिलकर स्थानीय पुलिस और प्रशासन से संपर्क किया और सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही, इस घटनाक्रम को साझा करके समुदाय और स्थानीय नेताओं से भी सतर्कता बनाए रखने और एकजुटता दिखाने का आग्रह किया गया.


BAPS मंदिर पर चौथा हमला

बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर पर यह चौथा हमला पिछली बार की घटनाओं से कहीं ज़्यादा चिंताजनक है, क्योंकि यह पवित्र कृष्ण जन्माष्टमी पर्व से कुछ ही दिन पहले हुआ, जिससे धार्मिक संवेदनशीलता अधिक बढ़ गई है. मुख्य स्पर्श-बिंदु रही कि मंदिर परिसर की दीवारों पर “भारत और हिंदू विरोधी” स्लोगन लिखे गए, एक स्पष्ट संदेश जो धार्मिक असहिष्णुता की ओर इशारा करता है. इस कृत्य ने स्थानीय हिंदू संगठनों में गुस्सा भर दिया है और वे इसे धार्मिक आज़ादी के खिलाफ सुनियोजित हमले के तौर पर देख रहे हैं. उनके अनुसार, यह केवल मंदिर तक सीमित हमला नहीं है, बल्कि पूरे सामुदायिक विश्वास पर हमला है.


शांति और सुरक्षा के लिए समुदाय की पुकार

यह हमला न केवल धार्मिक स्थानों तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह उस असंतुलन और विश्वासघात की जड़ को उजागर करता है जिसे भारतवासी हिंदू समुदाय लंबे समय से महसूस कर रहा है. ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि स्थानीय प्रशासन, समुदाय और अमेरिकी नागरिक समाज एक साथ खड़ा हो, घृणा और विभाजन के इस दौर का सामना करने के लिए. इस घटना ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक स्थलों की रक्षा केवल धार्मिक संस्थानों का मामला नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है. समय आ गया है जब अमेरिका की कानून व्यवस्था और समाज दोनों मिलकर यह संदेश दें कि धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता की रक्षा ही वास्तविक लोकतांत्रिक मूल्य हैं.


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