
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां अब शुरू हो चुकी हैं और कटिहार जिले की बलरामपुर विधानसभा सीट सभी राजनीतिक दलों के लिए खास है. जिस पर सभी पार्टी ने अपनी नजर बना कर रखी हुई है. इस सीट का गठन 2008 में परिसीमन के बाद हुआ था और यह कटिहार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इसमें बारसोई और बलरामपुर प्रखंड शामिल हैं.
भौगोलिक और आर्थिक स्थिति
दरअसल यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल की सीमा के पास, गंगा के उत्तरी तट पर मौजूद है, जहां कोसी और महानंदा नदियों का संगम होता है. वहीं यह इलाका बाढ़ से प्रभावित भी रहता है और कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था यहां की अपनी ही एक पहचान है. प्रमुख फसलें हैं जैसे धान, गेहूं, मक्का, दालें और जूट. रोजगार की तलाश में यहां से बड़ी संख्या में लोग कई राज्यों में पलायन करते हैं. वहीं सीमावर्ती व्यापार भी इस क्षेत्र में जोरों पर होता है.
जनसंख्या और वोटिंग पैटर्न
बात 2020 की है जब यहां अनुमानित जनसंख्या करीब 7 लाख थी, जिनमें लगभग 60.80% मुस्लिम मतदाता शामिल थे. इसके अलावा 12% अनुसूचित जाति और 1.62% जनजाति समुदाय भी है. जिसके चलते यह इलाका मुस्लिम बहुल क्षेत्र माना जाता है.
पिछले चुनावों का विश्लेषण
- 2010: निर्दलीय उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी ने जीत दर्ज की.
- 2015: सीपीआई(एमएल) के महबूब आलम ने जेडीयू और बीजेपी उम्मीदवारों को हराया.
- 2020: महागठबंधन के हिस्से के रूप में महबूब आलम ने 53,597 वोटों से बड़ी जीत दर्ज की.
ऐतिहासिक महत्व
साल 1856 में बलरामपुर में एक बड़ा युद्ध हुआ था जिसमें नवाब सिराज-उद-दौला और पूर्णिया के नवाबजंग मैदान में आमने-सामने थे. इस युद्ध में लगभग 12,000 लोग मारे गए थे. ब्रिटिश काल में यह एक प्रमुख अंतर्देशीय बंदरगाह था. आज के वक्त में यहां हो रहे सड़क और पुल निर्माण इसे एक बार फिर ‘बिहार का द्वार’ बनाने की कोशिश है.
क्या है 2025 चुनाव की रणनीति
हालांकि समय के साथ यह सीट अब महागठबंधन का मजबूत गढ़ बन चुकी है. वहीं एनडीए भी इस सीट को हासिल करने की पूरी जद्दोंजहद कर रही है. जहां एक तरफ मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे मुद्दों के जरिए वोट ध्रुवीकरण की रणनीति अपनाई जा है तो वहीं लोगों को लुभाने की हर मुमकिन कोशिश भी की जा रही है. अब देखना होगा कि इस बार बाजी आखिर कौन मारता है.
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