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ज्ञानवापी केस में सुनवाई हुई पूरी, मुस्लिम पक्ष का दावा….’मस्जिद की जमीन औरंगजेब की संपत्ति’

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी जिला जज की अदालत में बुधवार को सुनवाई हुई। बुधवार की सुनवाई में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई। कोर्ट में बुधवार को ज्ञानवापी केस पर तीन घंटे से ज्यादा देर तक सुनवाई चली। अब 12 सितंबर को अदालत इस पर फैसला सुनाएगी। जिला जज की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वाराणसी के जिला जज की अदालत में केस की मेरिट पर सुनवाई में हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गईं। 

वहीं इस बार ज्ञानवापी केस की सुनवाई के दौरान औरंगजेब की नाम भी सामने आया है। कागज मांगने पर मस्जिद पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि वर्ष 1669 में बादशाह औरंगजेब की सत्ता थी। इस तरह से उस समय की जो भी संपत्ति थी वह बादशाह औरंगजेब की थी, बादशाह औरंगजेब ने ज्ञानवापी की संपत्ति वक्फ को दी तो वहां मस्जिद बनी।

इससे पहले कोर्ट ने मस्जिद पक्ष के जरिए लगातार अगली तारीख मांगने से वाराणसी के जिला जज ने सख्त रुख अपनाते हुए अगली तारीख 22 अगस्त निर्धारित करते हुए अंजुमन इंतजामिया पर 500 रुपये जुर्माना लगाया था। फिर अगली तारीख यानी बीती 22 अगस्त को पूरी तैयारी के साथ आने के निर्देश दिए थे।

आपको बता दें मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता अभयनाथ यादव की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। इस वजह से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत के सामने दरख्वास्त रखते हुए समय लग गया।

मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की पूरी बहस का सार यही रहा कि देश की आजादी के दिन ज्ञानवापी मस्जिद का जो धार्मिक स्वरूप था, वह आज भी कायम है। उसका धार्मिक स्वरूप अब बदला नहीं जा सकता है। ऐसे में शृंगार गौरी केस मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। अब ऐसे में माना जा रहा है कि 12 सितंबर को अदालत अपना फैसला सुनाएगी कि मां श्रृंगार गौरी का केस आगे सुनवाई योग्य है या नहीं।

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