
“मैं निश्चिंत था, लेकिन राज्य में प्रथम आना भी मेरे लिए अप्रत्याशित है। माता-पिता, पत्नी के सहयोग और मित्रों के मार्गदर्शन से यह संभव हो सका। मथुरा लभाना जैसे अति पिछड़े समाज से आने के कारण मैं हमेशा उनकी प्रगति के लिए काम करता रहूंगा।”
अगर आप में हौसला और लक्ष्य को पाने की भूख हो तो आपको अपने लक्ष्य से पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता हैं फिर चाहे रास्ते में कितनी ही कठिनाई और मुश्किलें क्यों न आ जाए। कुछ ऐसी ही कहानी ही महाराष्ट्र में वाशिम के सुदूर इलाके में रहने वाले सुनील की, जिन्होंने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित पुलिस सब-इंस्पेक्टर पद की परीक्षा में पूरे राज्य में टॉप रैंक हासिल की।
घर की खराब स्थिति, मुक्त विश्वविद्यालय से शिक्षा, लगातार दो बार अवसर गंवाना और अब राज्य में पहली पायदान हासिल करना। यहाँ तक पहुंचने में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
सुनील एक सुदूर इलाके से आते हैं जहाँ शिक्षा की स्थिति न के बराबर थी सुनील के परिवार के कुछ ज़मीन थी लेकिन वह बंजर थी इसलिए उनके माता पिता गिट्टी तोड़ने का काम करते थे। इसलिए उनके घर आर्थिक स्थिति ज्यादा सही नही थी। लेकिन सुनील ने हिम्मत न हारते हुए यशवंतराव चव्हाण ओपन यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री हासिल की।
सुनील छह साल पहले प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए संभाजीनगर पहुंचे। उन्हें एहसास हुआ कि अगर वह घर की स्थिति बदलना चाहता है तो नौकरी पाना महत्वपूर्ण है और प्रतियोगी परीक्षा ही नौकरी पाने का एकमात्र तरीका है। इसलिए वह मजदूरी के साथ साथ इन परीक्षाओं की तैयारी करने लगे। चूंकि महंगी कक्षाएं लेना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई 2018 में उन्होंने पहली बार पारीक्षा जिसमें कुछ अंकों से चूक गए।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और पढ़ाई जारी रखी। जिस दौरान 2020 में उनकी उर्मिला नाम की लड़की से शादी हो गई। उर्मिला ने अपने पति के सपने को पूरा करने के लिए फाइनेंशियली और मनोवैज्ञानिक सहायता देती है। जिससे आखिरकार उनकी और उनके परिवार की मेहनत रंग लाई। महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित पुलिस सब-इंस्पेक्टर पद के लिए परीक्षा का परिणाम 4 जुलाई को घोषित किया गया था जिसमें सुनील ने न केवल यह परीक्षा पास की बल्कि राज्य में पहला स्थान हासिल किया।