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सौरभ किरपाल देश के पहले समलैंगिक जज हो सकते हैं

नई दिल्ली: वरिष्ठ वकील सौरभ किरपाल भारत के पहले समलैंगिक जज हो सकते हैं। जस्टिस रमना के नेतृत्व वाले कॉलिजियम ने 11 नवंबर की बैठक के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के जज के तौर पर उनके नाम की सिफारिश की है। हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति वाले कॉलिजियम में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस ए एम खानविलकर भी सदस्य है।

गौरतलब है कि केंद्र की तरफ से चार बार सौरभ के नाम को लेकर आपत्ति जताई गई है। बावजूद इसके कॉलेजियिम ने फिर उनके नाम की सिफारिश की है।

केंद्र की आपत्ति सौरभ किरपाल के विदेशी पुरुष साथी को लेकर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 20 साल से सौरभ के पार्टनर ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट निकोलस जर्मेन बाकमैन हैं और स्विट्जरलैंड के रहने वाले हैं। इसलिए केंद्र को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं हैं। पिछले साल एक इंटरव्यू में सौरभ ने कहा था कि शायद उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन की वजह से ही उन्हें जज बनाने की सिफारिश का फैसला टाला गया है।

सौरभ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीएन किरपाल के बेटे हैं। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज से ग्रेजुएशन की है। इसके अलावे ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसी प्रतिष्ठित जगहों से पढ़ाई की है। उन्हें वकालत के क्षेत्र में लगभग 2 दशकों का अनुभव है. सौरभ पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ बतौर जूनियर काम कर चुके हैं, वे कमर्शियल लॉ के एक्सपर्ट भी हैं। उन्होंने ‘सेक्स एंड द सुप्रीम कोर्ट’ किताब को एडिट भी किया है। सौरभ के नाम की सिफारिश इसलिए भी अहम हैं क्योंकि सितंबर 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के तहत समलैंगिकता को अपराध के दायर से बाहर करने का फैसला दिया था, उस वक्त वह 2 प्रमुख याचिकाकर्ताओं नवतेज जोहर और रितु डालमिया के वकील थे।

हालांकि, ये साफ नहीं है कि कृपाल की नियुक्ति होती है तो कब तक हो पाएगी, क्योंकि केंद्र सरकार कॉलेजियम को रिव्यू के लिए भी कह सकती है।

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