
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म, एक भोजन और एक संस्कृति को लागू करने का आरोप लगाया और कहा कि इससे भारतीय संघ को नुकसान होगा।
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुरुमु को दी गई राजभाषा पर संसद समिति की रिपोर्ट पर प्रकाश डालते हुए, सीएम स्टालिन ने कहा कि रिपोर्ट में आईआईटी, आईआईएम और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी की सिफारिश की गई है।
इस कदम की निंदा करते हुए सीएम स्टालिन पर सवाल उठाया, “जब लोग 22 आधिकारिक भाषाओं में और भाषाओं को जोड़ने पर जोर दे रहे हैं तो ऐसी रिपोर्ट की क्या जरूरत है? केंद्र सरकार के पदों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं से अंग्रेजी को हटाने की सिफारिश क्यों की गई है?”
सीएम स्टालिन ने आगे कहा, “संसद में भारत मारा की जय कहना, इसे एक राजनीतिक दल का नारा बनाना, अन्य भाषाओं को जहर देकर हिंदी को मां का दूध पिलाने जैसा है। यह भारतीय संविधान के खिलाफ है।”
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सीएम स्टालिन ने कहा कि 16 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस मनाया जहां उन्होंने कहा कि हिंदी आधिकारिक भाषा है और उनकी अध्यक्षता वाली समिति अब शिक्षण संस्थानों पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है।
स्टालिन ने आगे कहा कि कुछ ऐसा थोपना जो व्यावहारिक नहीं है, वह हिंदी भाषियों को प्रथम श्रेणी का नागरिक और गैर-हिंदी भाषियों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक कहने जैसा है। अपनी मातृभाषा की प्रशंसा करने वाले इसे स्वीकार नहीं करेंगे। एमके स्टालिन ने कहा कि ऐसे भारत में तमिल और अन्य भाषाओं के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए जो विविधता में एकता देखता है।
तमिलनाडु के सीएम को चेतावनी देते हुए कहा, “सभी भाषाओं को सरकार की राजभाषा बना देना चाहिए। हिंदी थोपकर और हम पर दूसरी भाषा की जंग थोपकर कोई स्टैंड न लें। मातृभाषा भावना नामक आग को भड़काने की कोशिश न करें।” कल पार्टी की जनरल कॉउन्सिल मीटिंग में स्टालिंग को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया।