Punjab

मजीठिया का करीबी हरप्रीत सिंह गुलाटी गिरफ्तार, Vigilance इन एक्शन मोड

Bikram Majithia : पंजाब विजीलेंस ब्यूरो ने शराब कंपनी आकाश स्प्रिटी, यूवी एंटरप्राइज और एडी एंटरप्राइज के माध्यम से पैसों के ट्रांसफर से संबंधित मामले में मजीठिया के करीबी हरप्रीत सिंह गुलाटी को गिरफ्तार किया है। उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने गुलाटी के माध्यम से शिमला और दिल्ली में संपत्तियां बनाई थीं।

आरोपी हरप्रीत सिंह गुलाटी को मजीठिया केस के संबंध में मोहाली से गिरफ्तार किया गया है और मोहाली की एक अदालत ने उसे छह दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।

शराब के लाइसेंसों से संबंधित गड़बड़ियां

इस संबंध में जानकारी देते हुए विजीलेंस ब्यूरो के सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर शराब के लाइसेंसों से संबंधित गड़बड़ियों और उनकी कंपनियों तथा उनके परिवार के पसंदीदा शराब कारोबारियों के साथ संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

कार डीलर से शराब कारोबारी बने गुलाटी

उन्होंने बताया कि 2007 में अकाली सरकार के सत्ता में आने के बाद पंजाब में शराब सेक्टर आदि पर कथित रूप से राजनीतिक कब्ज़ा हो गया था। मजीठिया और कार डीलर से शराब कारोबारी बने हरप्रीत सिंह गुलाटी, जिसने मजीठिया के राजनीतिक प्रभाव का लाभ उठाया, के बीच मिलीभगत के आरोप लगाए गए हैं।

मजीठिया के इशारे पर शराब का लाइसेंस प्राप्त

उन्होंने बताया कि गुलाटी की फर्मों ने कथित रूप से 2008 से मजीठिया के इशारे पर शराब के लाइसेंस प्राप्त किए और इस व्यापार में पैर पसारे तथा पद का दुरुपयोग किया। गुलाटी की फर्मों ने कथित रूप से मजीठिया की कंपनियों और परिवार को 4.25 करोड़ रुपये (2008–09) और 1.40 करोड़ रुपये (2009–10) का भुगतान किया। इसके अलावा एक सैनिक फार्म, दिल्ली में एक फार्म हाउस और अन्य पारिवारिक लाभों के लिए भी फंडिंग की गई। वर्ष 2014–15 में इसी तरीके से और 5.49 करोड़ रुपये भेजे गए जिनसे मजीठिया की कंपनियों के लिए लिए गए कर्ज़ की अदायगी की गई।

करोड़ों रुपए के लेन-देन

उन्होंने कहा, “अब तक आरोपी बिक्रम सिंह मजीठिया से संबंधित कंपनियों में लगभग 10 करोड़ रुपये के लेन-देन सामने आए हैं और जांच से पता चल रहा है कि करोड़ों रुपए के ऐसे और भी लेन-देन हुए हैं। जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि इन लेन-देन का किसी व्यापार या वैध कारोबारी सौदे से कोई संबंध नहीं था और ये भुगतान बिना किसी व्यावसायिक तर्क या प्रमाणिकता के असुरक्षित फंड ट्रांसफर/लेयरड एडवांस के रूप में किए गए थे।

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