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क्या रोहित शर्मा का दौर खत्म, हिटमैन पर सवाल?

हर तरफ वर्ल्ड कप का शोर है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि रोहित शर्मा को उनका क्रेडिट नहीं मिल रहा। यह वही बल्लेबाज है, जिसको वर्ल्ड कप से पहले कुछ आलोचक टीम का हिस्सा बनाने से भी मना कर रहे थे। कोई फिटनेस का हवाला देता था, तो कोई परफॉर्मेंस का। वे कह रहे थे कि हिटमैन की जगह किसी युवा खिलाड़ी से ओपनिंग करवाई जाए। रोहित शर्मा का दौर खत्म हो गया। हिटमैन खामोश रहे।

रोहित शर्मा के फुटवर्क पर बात

एक बार मुस्कुरा कर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह दिया कि युवाओं का दौर भी आएगा। मुझे भी 2011 वर्ल्ड कप खेलने का मौका नहीं मिला था। वर्ल्ड कप शुरू हुआ और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रोहित के रन नहीं बने। जिसने कभी जिंदगी में बल्ला नहीं पकड़ा होगा, वह गली-मोहल्ले में रोहित शर्मा के फुटवर्क पर बात कर रहा था। इन लोगों का वश चलता, तो रोहित को सीधा घर छोड़कर आते। दूसरे मैच में रोहित शर्मा ने अफगानिस्तान के खिलाफ शतक जड़ दिया। 84 गेंद पर 16 चौकों और 5 छक्कों के साथ 131 रन।

आलोचक बोलेंगे तुम्हारा हिटमैन छोटी टीम को मारता

मैंने जानबूझकर अफगानिस्तान वाली पारी की तस्वीर यहां नहीं लगाई है, क्योंकि कुछ आलोचक बोलेंगे तुम्हारा हिटमैन छोटी टीम को मारता है। अब आते हैं महामुकाबले पर। हौआ खड़ा किया गया था कि शाहीन अंदर और रोहित बाहर। रोहित ने पाकिस्तान के खिलाफ 86 रन कूटे। लगभग 174 गेंद बाकी थी और जीत के लिए 36 रन। फिर भी रोहित आक्रामक शॉट खेलते हुए आउट हो गए।

जीत के लिए नि:स्वार्थ भाव से बैटिंग

शतक हाथ में था, लेकिन पाकिस्तानी गेंदबाजों के सामने हिटमैन को धीमा होना मंजूर नहीं था। ऐसा करने के लिए कलेजा चाहिए होता है। उसके बाद बांग्लादेश और न्यूजीलैंड के खिलाफ रोहित ने धागा खोल दिया। अपने अर्धशतक और शतक की कोई फिक्र नहीं, जिद यही कि गेंदबाजों को हावी नहीं होने देना है। इतना मारना है कि उनके हौसले पस्त हो जाएं। अगर आपको लगता है कि रोहित शर्मा ने भारत की जीत के लिए नि:स्वार्थ भाव से बैटिंग की है। इस वर्ल्ड कप में हिटमैन के रवैये के लिए उनकी तारीफ करिए।

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