Madhya Pradeshराज्य

इंदौर में धार्मिक आधार पर नौकरियों से निकाले गए कर्मचारी, दिग्विजय सिंह बोले– जाएंगे कोर्ट

Digvijay Singh : इंदौर के कपड़ा बाजार में मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से हटाए जाने और कुछ व्यापारियों पर दुकानें खाली करने का दबाव बनाए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन कांग्रेस ने इस मामले को लेकर मुखर रुख अपनाया है और इसे ज़ोरशोर से उठाने की तैयारी में है.

सोशल मीडिया पर दी प्रतिक्रिया

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हाल ही में इंदौर पहुंचे थे और उन्होंने सीतलामाता बाजार का दौरा किया. इसके बाद वे सराफा थाने पहुंचे, जहां उन्होंने विधायक एकलव्य गौड़ के खिलाफ मामला दर्ज कराने की कोशिश की. हालांकि, उन्हें वहां विरोध का सामना करना पड़ा. बुधवार को सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण दे रही है. सिंह ने लिखा कि एडिशनल कमिश्नर ने शिकायत दर्ज करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा है, जो इस तरह के संवेदनशील मुद्दे में उचित नहीं है. उन्होंने साफ किया कि अगर 5 अक्टूबर तक पुलिस कोई मामला दर्ज नहीं करती है, तो वे अदालत का रुख करेंगे.

पुलिस ने रोका, भाजपा ने जमकर किया विरोध

सिंह के दौरे के दौरान बाजार में विरोध की स्थिति बन गई थी. कांग्रेस नेताओं से जानकारी मिलने के बाद जब वे बाजार पहुंचे तो वहां पहले से विधायक पुत्र एकलव्य गौड़ के समर्थक और व्यापारी जमा हो गए. स्थिति को देखते हुए पुलिस बल और बाद में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को भी तैनात किया गया.

जब दिग्विजय सिंह बाजार की ओर बढ़े तो पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रोककर सराफा थाने की ओर जाने को कहा. इस दौरान भाजपा समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया और “दिग्विजय सिंह वापस जाओ” के नारे लगाए. कुछ लोगों ने उन पर चूड़ियां भी फेंकी. इसके बाद वे प्रेस क्लब पहुंचे और पत्रकारों से बातचीत की.

एकलव्य गौड़ की व्यापारियों से अपील पर भड़का मामला

यह मामला तब शुरू हुआ जब भाजपा विधायक के बेटे एकलव्य गौड़ ने व्यापारियों से कहा कि वे अपनी दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दें. उनका आरोप था कि ये कर्मचारी दुकानों पर आने वाली युवतियों को प्रेम संबंधों में फंसा कर कथित ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा दे रहे हैं. इस बयान के बाद 40 से ज्यादा मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया.

अब इस मामले को लेकर राज्य में राजनीति तेज हो गई है और आने वाले दिनों में यह और गर्मा सकता है.

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