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Earthquake : जापान की ‘महाभूकंप’ को लेकर चेतावनी, क्या भारत-रूस पर भी होगा असर

Earthquake : जापान में 7.5 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है। जिससे भारी तबाही मची है। सड़कें, बिजली घर और मकानों को गंभीर क्षति पहुंची है। भूकंप के बाद मौसम विज्ञान एजेंसी ने उत्तरी तट के पास महाभूकंप का अर्लट दिया है। अगले 7 दिनों में 8 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप के आने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जापान सरकार ने होक्काइडो और सैनरिकु के तट के पास एक बड़े भूकंप के लिए एक अलर्ट जारी किया है, जिसे सैनरिकु सबसीक्वेंट अर्थक्वेक एडवाइजरी’ के नाम से जाना जाता है। यह भूकंप 7.0 या उससे ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप के बाद सक्रिय होता है। इसका मतलब है कि अगले कुछ दिनों तक 8 या उससे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप के आने की संभावना सामान्य से अधिक हो जाती है।

द्वीप के नीचे खिसकने से…

जापान में सोमवार को भूकंप होक्काइडो और उत्तर-पूर्वी जापान के तटों के पास एक खाई के पास से आया। यह वह क्षेत्र है जहां पैसिफिक प्लेट होंशू मुख्य द्वीप के नीचे खिसकने से बड़े भूकंप आ सकते हैं। मौसम विज्ञान एजेंसी ने भूकंप की तीव्रता को 7.6 के अनुमान से बताया और झटके के बाद 3 मीटर तक ऊंची सुनामी लहरों की चेतावनी जारी की।

जापानी PM ने जारी की चेतावनी

जापान के प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने भूकंप प्रभावित इलाकों के लोगों से अगले एक-दो सप्ताह तक स्थानीय अधिकारियों और मौसम एजेंसी से अपडेट रहने व आने वाले भूकंप के लिए तैयार रहने को कहा, साथ ही स्थानीय लोगों को पर्याप्त मात्रा में घर के जरूरी सामान रखने को कहा गया है।

रूस के हिस्से हो सकते हैं प्रभावित

मौसम वैज्ञानिक इस बात से चिंतित है कि इस इलाके में अब 8 या उससे अधिक का भूकंप आने की संभावनाएं नजर आने लगी है। इसके साथ ही उत्तरी जापान के पास आने वाला एक महाभूकंप मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में सुनामी और झटकों का खतरा पैदा करेगा। इससे जापान, रूस का सुदूर पूर्व और संभवतः अलास्का के कुछ हिस्से प्रभावित हो सकते है।

क्या भारत के लिए भी होगा खतरा..

सुनामी पर किए गए शोधों से पता चलता है कि जापान-ट्रेंच जैसी घटनाओं से ऊर्जा प्रशांत महासागर में केंद्रित होती है, जबकि हिंद महासागर मुख्य रूप से सुंडा (जावा) ट्रेंच जैसे सबडक्शन जोन में आने वाले मेगाथ्रस्ट भूकंपों से प्रभावित होता है।

जापान की यह चेतावनी भारत के लिए साझा टेक्टोनिक भेद्यता (भूकंप और सुनामी के प्रति संवेदनशीलता) और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के महत्व को दिखाता है। लेकिन, इससे आने वाले समय में भारत तटों पर सुनामी या भूकंप के खतरे के बढ़ने का कोई संकेत नहीं मिलता है।

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