
Delhi : वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पॉल ने जेपीसी की रिपोर्ट लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी है। बुधवार को समिति ने 665 पन्नों वाली इस रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से स्वीकार किया था। इसमें भाजपा के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझाव समाहित हैं।
वहीं विपक्ष के सदस्यों ने इसे असंवैधानिक बताया और आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा। भाजपा सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करने वाला है।
विपक्ष ने जताई नाराजगी
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई। विपक्षी सदस्यों ने असहमति के नोट दिए हैं। समिति ने गत सोमवार को हुई एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था।
समिति की रिपोर्ट पर असहमति जताते हुए विपक्षी सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराया। उन्होंने विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन समिति ने विपक्षी संशोधनों को खारिज कर दिया। विपक्षी दलों का कहना था कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप करता है और इसके दमनकारी पहलुओं को बरकरार रखता है।
क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। इस रिपोर्ट पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटाने वाले खंड में प्रावधान को अंतिम समय में शामिल करना गैरजरूरी था, क्योंकि इसका इम्तहान उन मामलों में होगा जहां संपत्ति विवाद है, जबकि ऐसी स्थिति में यह लागू नहीं होगा।
असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों को हटाने वाले प्रावधान को अंतिम समय में जोड़ना पूरी तरह से गैरजरूरी था, क्योंकि इसका प्रभाव केवल उन मामलों पर पड़ेगा जहां संपत्ति विवाद हो, जबकि ऐसी स्थिति में यह लागू नहीं हो सकता।
विधेयक का उद्देश्य
इस संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन में सुधार करना है, ताकि वक्फ अधिनियम, 1995 में बदलाव कर वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जा सके। यह विधेयक पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था और इसके बाद 8 अगस्त, 2024 को इसे जेपीसी के पास भेजा गया था।
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