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हादसे में घायल लोगों के इलाज लिए कैशलेस चिकित्सा सुविधा की योजना तैयार करे केंद्र सरकार: SC

Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसे के बाद घायलों के इलाज के लिए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए जिससे लोगों को हादसे के बाद गोल्डन आवर के अंदर बिना पैसा दिए इलाज की सुविधा मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार गोल्ड ऑवर अवधि में सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा सुविधा की योजना तैयार करे। बता दें कि गंभीर चोट के बाद पहले के एक घंटे को गोल्डन ऑवर कहते हैं। कोर्ट ने कहा, घायल के इलाज के लिए यह समय सबसे अहम होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गंभीर चोट लगने पर एक घंटे के अंदर उचित इलाज बेहद जरूरी होता है। इस दौरान इलाज मिलने पर घायल व्यक्ति के बचने की संभावना ज्यादा रहती है। देर होने पर मौत या अपंग होने की आशंका बढ़ जाती है।

कैशलेस योजना जरूरी

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कई बार ऐसा होता है कि हादसे में घायल हुए व्यक्ति के करीबी और परिजन उसके साथ या आस-पास नहीं होते हैं। इसलिए उसकी मदद करने वाला कोई नहीं होता है। लोग भी पुलिस और अन्य कारणों से आगे नहीं आते। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति को गोल्डन ऑवर में जरूरी उपचार मिलना आवश्यक है, लेकिन अक्सर गोल्डन ऑवर में जरूरी इलाज से मना कर दिया जाता है। अस्पताल भी ऐसी सूरत में कभी-कभी पुलिस के आने तक का इंतजार करती है। उनकी चिंता इलाज में लगने वाले खर्च को लेकर होती है। कोर्ट ने कहा कि कई मामलों में अगर गोल्डन ऑवर के दौरान जरूरी उपचार नहीं मिलता है, तो घायलों की जान जा सकती है। ऐसे में कैशलैस योजना बेहद जरूरी है।

14 मार्च तक नीति लागू करे सरकार

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 162 के तहत गोल्डन ऑवर के दौरान दुर्घटनाओं के पीड़ितों के कैशलेस उपचार की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की बनती है। बता दें कि कोर्ट ने सरकार को योजना लागू करने के लिए 14 मार्च तक का समय दिया है। वहीं 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर दोबारा सुनवाई करेगा।

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