Vande Mataram : विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने वंदे मातरम पर हुई चर्चा के दौरान महत्वपूर्ण बातें रखीं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम एक ऐसा मंत्र है जिसने देश की आजादी के आंदोलन में नई ऊर्जा का संचार किया। इस मंत्र का स्मरण इस सदन में करना हम सभी के लिए गौरव की बात है, क्योंकि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम की तपस्वी यात्रा का प्रतीक है।
बलिदान, त्याग और तपस्या की ज्वाला
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर हम गर्व महसूस कर रहे हैं। यह मंत्र करोड़ों भारतीयों के दिलों में बलिदान, त्याग और तपस्या की ज्वाला जला चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में की थी और यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतिकार था।
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में भावनात्मक नेतृत्व
सैनी ने वंदे मातरम के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “वंदे मातरम ने 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाने में भावनात्मक नेतृत्व प्रदान किया। यदि वंदे मातरम की भावना ना होती तो आज हम जनप्रतिनिधि के रूप में इस सदन में नहीं बैठ पाते।
जिन्ना के विरोध की ओर इशारा
मुख्यमंत्री ने 1937 में जिन्ना द्वारा वंदे मातरम के विरोध की ओर भी संकेत किया और कहा कि 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम के भाव को समझौते के तहत तोड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि तुष्टिकरण की राजनीति के दबाव में वंदे मातरम के असली भाव को बदलने की कोशिश की गई।
मुख्यमंत्री ने सदन से किया आह्वान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 7 नवंबर को वंदे मातरम अभियान के शुभारंभ का भी उल्लेख करते हुए सैनी ने बताया कि केंद्र और हरियाणा सरकार ने इसे पूरे वर्ष मनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने सदन से आह्वान किया कि हम सब मिलकर वंदे मातरम को केवल एक गीत के रूप में नहीं, बल्कि जीवन के मंत्र के रूप में अपनाएं और उसकी भावना को अपने आचरण में उतारें।
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