
Bhopal Gas Tragedy : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल पहले हुई गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अब जलाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। धार जिले के पीथमपुरा में इस कचरे को ले जाकर खत्म किया जाना है। जिसको लेकर जनता यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले इस जहरीले कचरे को पीथमपुरा में ट्रांसफर किए जाने का विरोध कर रही है। वहीं अब यह विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है। जिस वजह से शुक्रवार (3 जनवरी) की सुबह गुस्साए लोगों को हटाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
बता दें कि भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा गुरुवार की सुबह इंदौर के पास स्थित पीथमपुर की एक इंडस्ट्रियल वेस्ट डिपोजिट यूनिट में पहुंचा दिया गया था। लोगों की मांग है कि इस कचरे के निपटान की व्यवस्था पीथमपुर से हटाकर कहीं और की जाए।
सीएम मोहन यादव का भी आया बयान
वहीं, लोगों की मांग है कि इस जहरीले कचरे को पीथमपुरा में नष्ट न किया जाए, क्योंकि उन्हें आशंका है कि इससे वातावरण में और सीधे तौर पर जीव-जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
सीएम मोहन यादव ने कहा, भोपाल गैस त्रासदी के कचरे में 60 फीसदी मिट्टी और 40 प्रतिशत नेफ्टॉल है। इसका इस्तेमाल कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) बनाने में किया जाता है। यह एकदम हानिकारक नहीं है। उन्होने कहा, साइंटिस्ट का दावा है कि कचरे में मौजूद जहर 25 साल तक रहता है और अब त्रासदी को 40 साल बीत चुके हैं। ऐसे में ये कचरा अब लोगों के लिए हानिकारक नहीं होगा।
सीलबंद कंटेनरों में लाया गया था कचरा
बता दें कि यह जहरीला कचरा ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के तहत 12 सीलबंद ट्रकों में कड़ी सुरक्षा के बीच भोपाल से करीब 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर लाया गया। कचरे के पहुंचने के बाद स्थानीय नागरिकों ने जोरदार प्रदर्शन किया। 1.75 लाख की आबादी वाले पीथमपुर में इस मुद्दे पर बंद का आह्वान किया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कचरे को पीथमपुर में नष्ट करने से इंसानों और पर्यावरण पर खतरनाक असर पड़ सकता है। 30 किलोमीटर दूर स्थित इंदौर के नागरिक भी इस कचरे को जलाए जाने का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, सरकार ने कचरे के सुरक्षित निपटान का आश्वासन दिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी इस कचरे को कहीं और भेजने की मांग कर रहे हैं।
हाई कोर्ट का आदेश
भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर को आदेश दिया था कि यूनियन कार्बाइड कारखाने का जहरीला कचरा 4 हफ्तों के भीतर हटाया जाए। कोर्ट ने निर्देश का पालन न होने पर अवमानना की चेतावनी भी दी थी।
कब हुआ भोपाल गैस त्रासदी
बता दें कि 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड के कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस के रिसाव के कारण हजारों लोग मारे गए थे और कई अपंग हो गए थे। वहीं अब कोर्ट के आदेश पर कारखाने में जमे हुए इस कचरे को त्रासदी के बाद हटाया जा रहा है।
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