
Chandigarh : पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि वर्ष 2025 राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार और जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक निर्णायक वर्ष साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किसान-हितैषी दृष्टिकोण अपनाया है, जिसके तहत राज्य के दूर-दराज़ क्षेत्रों तक नहरी पानी पहुंचाने और भूजल स्तर को सुधारने पर विशेष ध्यान दिया गया। रिकॉर्ड वित्तीय निवेश और वर्षों से उपेक्षित बुनियादी ढांचे के उन्नयन के साथ-साथ जल संसाधन विभाग ने राज्य के सभी क्षेत्रों, विशेषकर सूखा प्रभावित और जलभराव वाले इलाकों में पानी की समान उपलब्धता सुनिश्चित की है।
विकास कार्यों के बारे में गोयल ने दी जानकारी
अधिक जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक 5640 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्य पूरे किए गए। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 878 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट, 2023-24 में 1251 करोड़ रुपये के कार्य और 2024-25 में 1786 करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1725 करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए हैं। इन कार्यों में नहरों और खालों की लाइनिंग एवं मरम्मत शामिल है, जिससे राज्य के दूर-दराज़ क्षेत्रों के किसानों तक नहरी पानी पहुंचाना संभव हुआ। उन्होंने आगे बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान लगभग 2600 किलोमीटर नहरों की लाइनिंग की गई है, जिसमें अकेले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 960 किलोमीटर से अधिक नहरों की लाइनिंग शामिल है। इस वर्ष विशेष रूप से ईंटों से पक्के किए गए तथा पाइपलाइन आधारित खालों पर ध्यान केंद्रित किया गया, ताकि अंतिम छोर तक सिंचाई का पानी पहुंचाया जा सके।
774.80 करोड़ की लागत से हुई सरहिंद फीडर की रीलाइनिंग
गोयल ने बताया कि सेम की पुरानी समस्या और रिसाव को दूर करने के लिए विभाग द्वारा लगभग 774.80 करोड़ रुपये की लागत से सरहिंद फीडर की रीलाइनिंग की गई है। इस परियोजना के अंतर्गत लगभग 100 किलोमीटर रीलाइनिंग का कार्य पूरा किया जा चुका है।
आज़ादी के बाद पहली बार नहरों की क्षमता में वृद्धि
कैबिनेट मंत्री ने विशेष रूप से कहा कि “आज़ादी के बाद पहली बार सरहिंद नहर और पटियाला फीडर सहित प्रमुख नहरों की क्षमता में वृद्धि की गई है, जिससे जल प्रवाह पर बेहतर नियंत्रण और मांग वाले क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ी है।”
6900 किलोमीटर से अधिक खालों की बहाली
उन्होंने बताया कि खालों की बहाली के लिए चलाए गए राज्य स्तरीय अभियान के तहत 20 से 30 वर्षों से बंद पड़े 6900 किलोमीटर से अधिक लंबाई के 18,349 खालों को पुनर्जीवित किया गया है। इसके परिणामस्वरूप 1300 से अधिक स्थानों पर पहली बार सिंचाई के लिए नहरी पानी पहुंचाया गया, जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 400 से अधिक स्थानों तक पानी पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि खालों की 25 वर्षों से पहले मरम्मत पर रोक लगाने वाली नीति को समाप्त कर दिया गया है, जिसके बाद मनरेगा और राज्य फंड के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत कार्य किए गए। पिछले दो वर्षों में 900 किलोमीटर से अधिक लंबाई के 1277 से अधिक खालों की मरम्मत या बहाली की गई है।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि राज्य के हर कोने तक नहरी पानी पहुंचाने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान लगभग 870 करोड़ रुपये की लागत से 3445 किलोमीटर पाइपलाइन और ईंट आधारित खालों को कवर करने के कार्य प्रगति पर हैं।
चोअ और नालों पर लगभग 900 चेक डैम
उन्होंने बताया कि पठानकोट ज़िले में पहली बार क्षेत्र को नहरी पानी उपलब्ध कराने के लिए तीन नई नहरों का निर्माण किया जा रहा है। भूजल स्तर में सुधार के प्रयासों के तहत चोअ और नालों पर लगभग 900 चेक डैम बनाए गए हैं, 189 नहरी रिचार्ज साइटें पूरी की जा चुकी हैं तथा 60 नई रिचार्ज योजनाएं प्रगति पर हैं। इसके अलावा 127 नए तालाब खोदे जा रहे हैं और उन्हें नहरों से जोड़ा जा रहा है, जबकि 66 मौजूदा तालाबों को भी नहरी प्रणाली से जोड़ा जा रहा है। भूजल स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से 3200 से अधिक सोख पिटों का निर्माण भी किया जा रहा है।
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