UP News : उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से सामजावदी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा अनिवार्य किए जाने पर तीखा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति के समय सभी डिग्रियों और योग्यताओं के प्रमाण जमा किए गए और उसी के आधार पर उनका चयन हुआ था. अब अध्यापकों से कहा जा रहा है कि उनकी डिग्रियां महत्वहीन है और टीईटी परीक्षा पास करनी होगी. “जब उन्हें सेवा में लिया गया था, उस समय नियमावली में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, इसलिए उन्होंने इसे सरकार की मनमानी करार दिया.”
सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि यदि शिक्षा विभाग को पुलिस विभाग के ढर्रे पर चलाया जाएगा तो इसका सबसे अधिक असर बुद्धिजीवी वर्ग पर पड़ेगा, उन्होंने तज कसते हुए कहा कि यह वर्ग सत्ता के समर्थन के नशे” में है और इसी गलतफहमी का शिकार भी है. अंसारी ने कहा कि कई शिक्षक यह मानकर चल रहे थे कि मौजूदा सरकार उनके हितों की रक्षा करेगी, लेकिन अब जब उनके साथ ऐसा हो रहा है, तो वे विरोध और शिकायतें कर रहे हैं.
हत्या और अपराध में इजाफा
उन्होंने कहा कि जो लोग बल के सहारे शासन चला रहे हैं, उनके लिए एक दिन ऐसा भी आएगा जब राजस्व विभाग के लेखपाल, तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर और कमिश्नर जैसे पदों की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी और पूरा प्रशासनिक ढांचा पुलिस विभाग के हवाले हो जाएगा. मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थिति यह बन गई है कि थाने “बिकने” की चर्चा में हैं, उनकी कीमतें बढ़ गई हैं और हत्या व अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं.
कुर्सी बचाने में उलझी सरकार पर हमला
अफजाल अंसारी ने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और भ्रष्टाचार अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है, उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में बैठे लोग सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं और सत्ता के नशे में डूबे हुए हैं. ऐसे हालात में दमनात्मक कार्रवाई करने वाले, फर्जी मुकदमे दर्ज कराने वाले और अपराध पर प्रभावी नियंत्रण न कर पाने वाले अधिकारियों को ही “सफल” प्रशासक माना जा रहा है.
इंदिरा गांधी जैसे साहसिक फैसलों की जरूरत
बांग्लादेश में हिंदुओं को जलाकर मारे जाने की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी देश के आंतरिक मामलों में अगर वहां की सरकार किसी वर्ग का दमन कर रही है, तो उसका विरोध होना चाहिए, उन्होंने कहा कि भारत को इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाना चाहिए. साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कुछ दिन पहले तक लोग यह मानने को भी तैयार नहीं थे कि बांग्लादेश में कोई हिंदू बचा है. अगर वहां हिंदू बच्चे और परिवार मौजूद हैं, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इंदिरा गांधी जैसे साहसिक और ठोस फैसले लिए जाने चाहिए.
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