
AAP On Education Bill : दिल्ली में स्कूल फीस को लेकर चल रहे विवाद में आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार के नए बिल को माता-पिता के हितों के खिलाफ बताते हुए उसमें चार प्रमुख संशोधन की मांग की है. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने स्पष्ट कहा कि यह बिल प्राइवेट स्कूल मालिकों के पक्ष में है, और भाजपा को तय करना होगा कि वह पैरेंट्स के साथ खड़ी है या शिक्षा माफिया के साथ.
बिल में चार अहम संशोधन की मांग
आम आदमी पार्टी ने जो चार प्रमुख संशोधन पेश किए हैं, उनमें पहला है कि इस बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए ताकि हितधारकों से राय ली जा सके. दूसरा संशोधन स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी के गठन से संबंधित है, जिसमें 5 की जगह 10 अभिभावकों को जनरल बॉडी के जरिए चुना जाए. तीसरी मांग है कि स्कूलों के खातों का ऑडिट अनिवार्य किया जाए और वह रिपोर्ट पैरेंट्स के साथ साझा की जाए ताकि वे 15 दिनों में प्रतिक्रिया दे सकें. चौथा संशोधन यह है कि शिकायत के लिए 15% अभिभावकों की अनिवार्यता को हटाया जाए और केवल 15 पैरेंट्स की शिकायत पर भी कार्रवाई हो.
आतिशी ने उठाए भाजपा की नीयत पर सवाल
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतिशी ने कहा कि अप्रैल में जब फीस बढ़ोतरी को लेकर हंगामा हो रहा था, तब भाजपा सरकार ने बिल लाने का वादा किया, लेकिन वह बिल अगस्त में लाया गया — चार महीने की देरी से. उन्होंने आरोप लगाया कि यह देरी जानबूझकर की गई ताकि प्राइवेट स्कूलों को पैरेंट्स से बढ़ी हुई फीस वसूलने का समय मिल सके. उन्होंने कहा कि न तो शिक्षाविदों से राय ली गई, न ही माता-पिता को बिल की प्रति दिखाई गई, जिससे साफ होता है कि सरकार की नीयत में खोट है.
स्कूल फीस में बेलगाम बढ़ोतरी को मिल गया कानूनी ठप्पा
आप विधायक दल ने बिल के सेक्शन-5 में सबसे बड़ी खामी बताई कि 2025-26 की फीस वही मानी जाएगी जो 1 अप्रैल 2025 से स्कूल ले रहे होंगे. यानी प्राइवेट स्कूलों द्वारा पहले से की गई फीस बढ़ोतरी को इस बिल के जरिए मान्यता दे दी गई है. इसका सीधा मतलब यह है कि अब माता-पिता को वही बढ़ी हुई फीस चुकानी पड़ेगी.
फीस निर्धारण कमेटी में पारदर्शिता की मांग
आतिशी ने कहा कि वर्तमान कमेटी में स्कूल प्रबंधन का व्यक्ति अध्यक्ष होगा और केवल 5 पैरेंट्स होंगे, जिन्हें पर्ची के माध्यम से चुना जाएगा. उन्होंने पर्ची सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए मांग की कि यह कमेटी 15 सदस्यीय हो, जिसमें 10 अभिभावक हों और वे चुनाव के जरिए चुने जाएं.
ऑडिट के बिना फीस तय करना गलत – आतिशी
कुलदीप कुमार और आतिशी दोनों ने यह मांग रखी कि स्कूल फीस तय करने से पहले स्कूलों के पिछले खातों का ऑडिट होना चाहिए और वह रिपोर्ट सभी पैरेंट्स को भेजी जानी चाहिए. इसके बाद अभिभावकों को 15 दिनों का समय मिले ताकि वे अपनी प्रतिक्रिया दे सकें. इसी फीडबैक के आधार पर कमेटी फैसला ले.
15% पैरेंट्स की शिकायत की शर्त अमानवीय
बिल में कहा गया है कि किसी स्कूल के खिलाफ शिकायत तभी सुनी जाएगी जब 15% अभिभावक लिखित शिकायत करें. आतिशी ने इसे अव्यवहारिक और अनुचित करार देते हुए कहा कि किसी भी स्कूल में अगर 2000 छात्र हैं, तो 300 से ज्यादा माता-पिता के हस्ताक्षर जुटाना लगभग असंभव है. इसलिए उन्होंने संशोधन में यह मांग की है कि सिर्फ 15 पैरेंट्स की शिकायत पर भी कार्रवाई की जाए.
कोर्ट जाने के अधिकार को छीनना असंवैधानिक
बिल का सेक्शन-17 यह कहता है कि अगर फीस निर्धारण कमेटी कोई फैसला लेती है तो उसके खिलाफ अभिभावक कोर्ट नहीं जा सकते. इसे आतिशी ने असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि न्यायिक समीक्षा संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है और इसे खत्म करना सीधा-सीधा कानून और लोकतंत्र के खिलाफ है.
शिक्षा माफिया के पक्ष में बना बिल – आप विधायक
संजीव झा ने प्रेसवार्ता में कहा कि यह बिल शिक्षा माफिया को संरक्षण देने के लिए बनाया गया है. उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि बिल पढ़कर ऐसा लगता है जैसे इसे ₹100 करोड़ में खरीदा गया हो. उन्होंने आरोप लगाया कि बिल के सेक्शन-11 में शिक्षा निदेशक को अत्यधिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे वह किसी भी कमेटी के निर्णय को पलट सकता है. अगर शिक्षा मंत्री और निदेशक आपस में समझौता कर लें, तो पूरी प्रक्रिया स्कूल प्रबंधन के पक्ष में हो जाएगी.

ऑडिट शब्द तक नहीं, पारदर्शिता का अभाव
आप विधायक कुलदीप कुमार ने यह कहते हुए बिल पर कड़ा प्रहार किया कि भाजपा हमेशा ऑडिट की बात करती थी लेकिन इस बिल में “ऑडिट” शब्द तक नहीं है. अगर स्कूलों के खातों की जांच नहीं होगी तो पता कैसे चलेगा कि फीस जायज है या नहीं? उन्होंने कहा कि बिल अवैध लूट को सरकारी लूट में बदलने का प्रयास है.

आम आदमी पार्टी का साफ संदेश
नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने दिल्ली के सभी माता-पिता से अपील की कि विधानसभा की कार्यवाही लाइव देखें ताकि साफ हो सके कि कौन से विधायक उनके हक में खड़े हैं और कौन स्कूल मालिकों के. उन्होंने कहा कि भाजपा को यदि वाकई में पैरेंट्स की चिंता है तो उसे संशोधन प्रस्तावों पर समर्थन देना चाहिए.
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