Bangladesh Hindu Minority Violence : पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के बीच दीपू चंद्र दास की हत्या ने पूरे देश में डर और असुरक्षा की भावना को और गहरा कर दिया है. यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि उस भय की तस्वीर है, जिसमें आज बांग्लादेश का हर हिंदू समुदाय जीने को मजबूर है. इस हत्याकांड के एक चश्मदीद ने निजी टीवी चैनल से बातचीत में जो बातें बताईं, वे यह साफ करती हैं कि यह हमला अचानक नहीं हुआ बल्कि साजिश के तहत किया गया. चश्मदीद ने कहा कि दीपू चंद्र दास की हत्या करने वाले इंसान नहीं, राक्षस बन गए थे.
बदले की भावना से फैलाया गया झूठ
चश्मदीद के मुताबिक, दीपू चंद्र दास एक मेहनती युवक थे, लेकिन उनकी मेहनत कुछ लोगों को खटक रही थी. जिन सहकर्मियों को नौकरी नहीं मिली, उन्होंने बदले की भावना से उनके खिलाफ ईशनिंदा का झूठा आरोप फैलाया. चश्मदीद ने बताया कि यह अफवाह जानबूझकर फैलाई गई थी ताकि भीड़ को भड़काया जा सके. बाद में प्रशासन ने साफ किया कि दीपू चंद्र दास पर ईशनिंदा का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन तब तक स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी.
लाठियों और घूंसे से पीटा गया
घटना वाले दिन दीपू चंद्र दास को फैक्ट्री के HR विभाग में बुलाकर जबरन इस्तीफा लिखवाया गया. प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, वहां केवल फैक्ट्री कर्मचारी ही नहीं, बल्कि बाहर से आए लोग भी मौजूद थे. इसके बाद उन्हें फैक्ट्री के बाहर खड़ी भीड़ के सामने धकेल दिया गया, जहां पहले से हिंसा के लिए तैयार कट्टरपंथी खड़े थे. बाहर निकलते ही भीड़ ने उन पर हमला किया, उन्हें लाठियों और घूंसे से पीटा और चेहरे व शरीर पर लगातार वार किए गए. वह खून से लथपथ हो गए, लेकिन भीड़ की हिंसा यहीं नहीं रुकी.
प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, दीपू चंद्र दास को करीब एक किलोमीटर तक घसीटा गया, फिर एक पेड़ से बांधकर जिंदा जला दिया गया. यह घटना खुलेआम हुई, लेकिन डर की वजह से कोई भी सामने नहीं आया.
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