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शासन का ‘हाइब्रिड मॉडल’ होना किसी के लिए भी लाभदायक नहीं : CM उमर अब्दुल्ला

Srinagar : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को केंद्र शासित प्रदेश में शासन के ‘हाइब्रिड मॉडल’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह किसी के लिए भी लाभदायक नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब सत्ता का एक ही केंद्र होता है, तब शासन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है।

उमर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “सत्ता के दोहरे केंद्रों का मॉडल कहीं भी सफल नहीं है। अगर यह प्रणाली प्रभावी होती, तो इसे अन्य राज्यों में भी अपनाया गया होता।” उन्होंने हाइब्रिड मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि उपराज्यपाल के पास कई संवैधानिक शक्तियां हैं, जो शासन में जटिलताएं पैदा कर सकती हैं।

राजवभव के साथ कोई टकराव नहीं है

उन्होंने यह भी कहा कि “केंद्र शासित प्रदेश में दोहरे सत्ता केंद्र एक स्वाभाविक संरचना है, लेकिन इसके कारण मतभेदों की अटकलें कोरी कल्पना हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि राजभवन के साथ कोई टकराव नहीं है और सरकार की कार्य प्रणाली को लेकर उचित विचार-विमर्श किया जाएगा।

अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि सरकार के कामकाज से जुड़े नियम बनाते समय सभी पक्षों से चर्चा होगी और उन्हें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास अंतिम निर्णय के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा, “मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो जनता से कहूं कि वे राजभवन न जाएं।”

लोगों को हर उस जगह जाना चाहिए जहां उनके मुद्दे सुलझे

उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो कहूंगा कि लोगों को हर उस जगह जाना चाहिए जहां उनके मुद्दे सुलझ सकते हैं फिर चाहे वह राजभवन हो या स्थानीय विधायक या अधिकारी.”

अब्दुल्ला के इस बयान से शासन व्यवस्था में सत्ता के केंद्रीकरण की महत्ता और बेहतर कार्यप्रणाली की आवश्यकता पर नई बहस छिड़ गई है।

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