
Sanjay Singh Statement : ऑपरेशन सिंदूर के एक माह पूरे हो गए, लेकिन अभी तक देश को प्रधानमंत्री मोदी से अचानक हुए सीजफायर को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब नहीं मिले हैं। इस पर गहरी चिंता व्यक्त करने हुए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने पीएम से पूछा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प दावा कर रहे हैं कि उन्होंने व्यापार बंद करने की धमकी देकर सीजफायर कराया है। अगर उनका दावा झूठा है तो प्रधानमंत्री को सदन में आकर देश को बताना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने ट्रम्प के दबाव में पीओके पर कब्जा व बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करने का सुनहरा मौका गंवा दिया। प्रधानमंत्री की प्राथमिकता अपने मित्रों का व्यापार है या देश के लिए आने वाले हथियार हैं। कई देशों में सर्वदलीय संसदीय दल भेजने के बाद भी संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी कमेटी का उपाध्यक्ष बना दिया। यह भारत की विदेश नीति की विफलता है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के एक महीने पूरे होने पर शनिवार को कहा कि सर्वदलीय बैठक और उसके बाद कई बार सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत प्रधानमंत्री या भाजपा के लिए वोट मांगने के लिए नहीं हुई थी, न ही यह वोट बैंक की राजनीति के लिए शुरू किया गया था। बल्कि, इसकी शुरुआत पहलगाम में हुई उस घटना के बाद हुई थी, जहां खूंखार आतंकवादियों ने हमारी बहनों के सिंदूर उजाड़े थे। उन खूंखार आतंकवादियों को अभी तक न तो गिरफ्तार किया गया है, न पकड़ा गया है, न मारा गया है।
संजय सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का मूल लक्ष्य पीओके पर कब्जा करना और आतंकी ठिकानों को पूरी तरह से समाप्त करना था। इस लक्ष्य को भारत सरकार को पूरा करना चाहिए। प्रधानमंत्री इस दिशा में इच्छा शक्ति दिखाएंगे। प्रधानमंत्री के सामने एक सुनहरा मौका था। वह पीओके पर कब्जा कर सकते थे, 21 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर सकते थे और बलूचिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से अलग कर सकते थे, लेकिन यह मौका उन्होंने ट्रंप के दबाव में गंवा दिया। एक महीने पूरे होने के बाद वह प्रधानमंत्री से यह सवाल पूछना चाहते हैं कि इस मामले में उन्होंने कोई जवाब क्यों नहीं दिया। ट्रंप ने एक नहीं, बल्कि 10 बार खुलेआम कहा है कि उन्होंने व्यापार बंद करने की धमकी देकर लड़ाई रुकवाई और सीजफायर कराया। ये सारे सवाल आज भी अनुत्तरित हैं और वह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इन सवालों का जवाब दें।
संजय सिंह ने कहा कि देश यह जानना चाहता है कि सेना के सबसे बड़े अधिकारी, सीडीएस ने सवाल उठाया है कि विमान क्यों गिरे और इस सवाल का जवाब कौन देगा? जाहिर है कि कोई राजनीतिक दल इसका जवाब नहीं देगा, बल्कि देश के प्रधानमंत्री को इसका जवाब देना होगा। प्रधानमंत्री सदन में आएं और जवाब दें, इसमें क्या समस्या है? वायु सेना के अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा है कि हमें हथियारों और जेट्स की जो जरूरत है, वह समय पर नहीं मिलती। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि उनकी प्राथमिकता क्या है? अपने मित्रों का व्यापार या देश के लिए आने वाले हथियार?
संजय सिंह ने कहा कि पिछले दिनों यह सवाल उठा है कि प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया और स्वयं उसमें शामिल नहीं हुए। प्रधानमंत्री उस समय बिहार में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे, फिल्मी सितारों से मिल रहे थे, आंध्र प्रदेश और केरल में उद्घाटन कर रहे थे और घूम-घूमकर वोट मांग रहे थे। प्रधानमंत्री दो-दो बार बिहार जा चुके हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता क्या है? देश इन सारे मुद्दों पर जवाब चाहता है कि प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक में क्यों नहीं आए। प्रधानमंत्री को रैलियां करने की फुर्सत है, लेकिन देश के गंभीर सवालों का जवाब देने का समय नहीं है।
प्रधानमंत्री की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा
संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पीड़ित परिवारों से भी मुलाकात नहीं की, सिवाय इसके कि वह कानपुर में रैली करने गए थे, जहां उन्होंने पीड़ित परिवारों को अपमानजनक तरीके से एयरपोर्ट पर बुलाकर मुलाकात की, उनके घर जाकर नहीं। यह प्रधानमंत्री की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को दर्शाता है। प्रधानमंत्री को इन सारे सवालों का जवाब सदन में आकर देना चाहिए।
संजय सिंह ने प्रधानमंत्री को कनाडा के प्रधानमंत्री की ओर से जी-7 के लिए आए आमंत्रण पर कहा कि विदेश नीति के कई मामलों में भारत की सरकार पूरी तरह से फेल साबित हुई है और प्रधानमंत्री इस मामले में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 129 बार 73 देशों की यात्रा की, लेकिन इसका नतीजा क्या निकला? जब भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई शुरू हुई, तो न तो नेपाल भारत के साथ खड़ा हुआ, न भूटान, न श्रीलंका और न ही मालदीव। न्यू पापुआ गिनी के राष्ट्रपति, जिन्होंने प्रधानमंत्री के पैर छुए थे, वह भी भारत के पक्ष में नहीं बोले।
संजय सिंह ने कहा कि इसके बाद प्रधानमंत्री को याद आया कि सर्वदलीय संसदीय दल भेजना चाहिए, तो उन्होंने ऐसा किया। लेकिन इस बीच एक घटना हुई कि संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी कमेटी का वाइस प्रेसिडेंट बना दिया। इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है कि पाकिस्तान, जो दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवाद का गढ़ है, वह संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद विरोधी कमेटी का उपाध्यक्ष बन गया और अब वह तय करेगा कि कौन सा देश आतंकवादी है और कौन सा नहीं। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने एक शब्द भी नहीं बोला।
संजय सिंह ने कहा कि जी-7 का निमंत्रण भी अपमानजनक तरीके से मिला, क्योंकि मीडिया में तमाम खबरें आने के बाद ही भारत को आमंत्रित किया गया। अगर प्रधानमंत्री जी-7 में जा रहे हैं और उन्हें वहां बोलने का मौका मिलता है, तो उन्हें इन सारे बिंदुओं को उठाना चाहिए। प्रधानमंत्री को यह सवाल उठाना चाहिए कि पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन कैसे मिल गया और संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद विरोधी कमेटी के वाइस प्रेसिडेंट की जगह उसे कैसे दी गई। इन सारे सवालों को प्रधानमंत्री को जी-7 में उठाना चाहिए।
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