
फटाफट पढ़ें
- महुआ में तेजस्वी रैली में पीएम की मां पर आपत्ति
- गिरिराज सिंह ने इसे माताओं का अपमान कहा
- विपक्षी नेताओं की गाली पर कड़ी निंदा
- वीडियो वायरल, भाजपा-जदयू ने मुद्दा बनाया
- सभ्य राजनीति और अनुशासन पर सवाल
Bihar News : वैशाली के महुआ में तेजस्वी यादव की सभा के दौरन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया. इस मामले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसे बिहार की अस्मिता और देश की करोड़ों माताओं का अपमान बताया.
बिहार की राजनीति फिर गर्मा गई है. वैशाली जिले के महुआ में तेजस्वी यादव की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग हुआ, जिसने राजनीतिक हलकों में तनाव बढ़ा दिया है. केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय सांसद गिरिराज सिंह ने इस घटना की कड़ी निंदा की.
पीएम की मां को गाली देना बेहद शर्मनाक
गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार की राजनीति में इस तरह की घटनाएं नई नहीं है, लेकिन एक बार फिर मंच से प्रधानमंत्री की मां को गाली देना बेहद शर्मनाक है, उन्होंने आरोप लगाया कि यह वही मानसिकता है जो 1990 के दशक के जंगलराज की पहचान थी और आज भी राजद के कुछ नेताओं के व्यवहार में स्पष्ट दिखाई देती है.
गिरिराज सिंह ने कहा कि कुछ दिन पहले राहुल गांधी के मंच से प्रधानमंत्री की मां को गाली दी गई थी और अब लालू यादव के युवराज तेजस्वी यादव के मंच से वही शर्मनाक हरकत हुई है. यह साबित करता है कि उस दौर के संस्कार अभी भी तेजस्वी यादव के साथ जुड़े हुए हैं. उनके मंच से गालियां दी जाती हैं और वह चुप रहते हैं. यह अपमान है सिर्फ नरेंद्र मोदी की मां का नहीं, बल्कि बिहार की अस्मिता और देश की करोड़ों माताओं का भी है.
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ टिप्पणी नहीं, बल्कि पूरे समाज की मातृशक्ति का अपमान है. जब कोई प्रधानमंत्री की मां का अपमान करता है तो वह हर भारतीय मां का अपमान करता है. ऐसी बातें बिहार की जनता कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. चुनाव के परिणाम में इन सबका हिसाब बराबर होगा.
बीजेपी-जदयू ने बनाया चुनावी मुद्दा
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं राजद के लिए चुनावी नुकसान पहुंचा सकती हैं. सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल हो रहा है और लोग नाराजगी जता रहे हैं. बीजेपी और जदयू ने इस मुद्दे को चुनावी हथियार बना लिया है और तेजस्वी यादव पर जोरदार हमला कर रहे हैं.
वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि नेताओं को अपने मंचों पर अनुशासन बनाए रखना चाहिए और किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक टिप्पणी या नारेबाजी को तुरंत रोकना चाहिए. महुआ की इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बिहार की राजनीति सभ्य संवाद की ओर बढ़ेगी या चुनावी माहौल में ऐसे विवाद ही हावी रहेंगे.
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