
Nishikant Dubey Statement : सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस को लेकर निशिकांत दुबे ने बयान दिया था। इस बयान पर निशिकांत दुबे पूरे फंस गए। उनके बयान पर विपक्ष लगातार बीजेपी को घेर रहा है। इसके साथ ही अवमानना की कार्रवाई की मांग हुई। सुप्रीम कोर्ट के एक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने अटॉर्नी जनरल को चिठ्ठी लिखी है। इस चिठ्ठी में अवमानना के मुकदमे की अनुमति मांगी है।
दरअसल, कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट क्या कहता है ? चलिए जानते हैं। 1971 की धारा 15(1)(b) और अवमानना के मामलों को देखना है तो सुप्रीम कोर्ट के 1975 में बने नियमों में से नियम 3(c) के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति नहीं होती है। तब तक सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू नहीं हो सकती है। ऐसे में वकील ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी को पत्र लिखा। निशिकांत दुबे के बयान के बारे में सूचना दी।
जानें पत्र में क्या लिखा ?
पत्र में है कि संविधान में सुप्रीम कोर्ट को दायित्व दिया गया है कि वह किसी कानून की संवैधानिकता की जांच करे. निशिकांत दुबे बातों को गलत तरीके से रख कर सुप्रीम कोर्ट को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। पत्र में है कि दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर संसद के काम में अतिक्रमण का आरोप लगाया है। वह सुप्रीम कोर्ट पर अराजकता फैलाने का भी आरोप लगा रहे हैं।
पत्र में लिखा है कि दुबे ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का नाम लेकर उन्हें देश में सिविल वार के लिए जिम्मेदार भी बताया है. इस तरह के सभी वक्तव्य कंटेंप्ट आफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(c)(i) के तहत सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हैं।
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