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वैश्विक चुनौतियों के बीच आर्थिक गतिविधियों में बनी रहेगी मजबूती, खुदरा महंगाई दर में भी आ सकती है कमी

New Delhi : भारत में आर्थिक गतिविधियों में व्यापक मजबूती बने रहने की संभावना है। 2024-25 की पहली 3 तिमाहियों में खुदरा महंगाई मौजूदा 5.6 फीसदी से कम होकर 4.6 फीसदी पर आ सकती है। आरबीआई के द्वारा जारी बुलेटिन में कहा गया है कि 2024 में वैश्विक वृद्धि की रफ्तार और धीमी हो सकती है।

आर्थिक गतिविधियों में मजबूती आगे भी बनी रह सकती है

महंगाई विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अलग-अलग गति से ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ कर सकती है। वैशि्वक चुनौतियों के बावजूद कच्चे माल की लागत में कमी और कॉरपोरेट मुनाफे के चलते भारत में आर्थिक गतिविधियों में जारी मजबूती आगे भी बनी रह सकती है।

आरबीआई ने अपने लेख में क्या कहा?

आरबीआई ने लेख में कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 7.7 फीसदी की जीडीपी वृद्धि ने संदेह करने वालों को चौंका दिया है। साथ ही, आंकडों ने इस बात पर भी जोर दिया कि विकास की गति कायम रहने की संभावना है।

स्टैगफ्लेशन में फंसने की आशंका कम है

आरबीआई के स्टाफ सदस्यों ने बुधवार को कहा कि भारत के महंगाई जनित-मंदी यानी स्टैगफ्लेशन में फंसने की आशंका कम है। देव प्रसाद रथ, सिलु मुदुली और हिमानी शेखर ने अपने अध्ययन में कहा कि भारत में स्टैगफ्लेशन का जोखिम सिर्फ एक फीसदी है, क्योंकि इस बार जिस कीमतों के झटके अधिक गंभीर नहीं हैं। आर्थिक वृद्धि दर में सुस्ती के बीच जब महंगाई तेजी से बढ़ती है, तो उस स्थिति को स्टैगफ्लेशन कहते हैं।

विकास की गति कायम रहने की संभावना  

आरबीआई ने लेख में कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 7.7 फीसदी की जीडीपी वृद्धि ने संदेह करने वालों को चौंका दिया है। साथ ही, आंकडों ने इस बात पर भी जोर दिया कि विकास की गति कायम रहने की संभावना है।

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