
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज (Hartalika Teej) मनाई जाती है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, सुखद वैवाहिक जीवन और उनके कल्याण के लिए रखती हैं। वहीँ कुवांरी कन्यायें हरतालिका तीज व्रत सुयोग्य और मनचाहा वर प्राप्ति के लिए करती हैं। इस व्रत को काफी कठिन व्रतों में से एक माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उपवास रखा था और यह दिन उनके मिलन का प्रतीक है।
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि सोमवार, 29 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर अगले दिन मंगलवार, 30 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। हरतालिका तीज के दिन सुबह 06 बजकर 04 मिनट से लेकर 8 बजकर 39 मिनट तक. साथ ही शाम 06 बजकर 32 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 52 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
ऐसे करें हरतालिका तीज पूजा
हरतालिका तीज के पूजन सामग्री में शिव, पार्वती और श्रीगणेशजी की मिट्टी की मूर्ति, पीला वस्त्र, दही, शहद, दूध, धतूरा, शमी के पत्ते, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, कलश, बेलपत्र, दूर्वा, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, फुलहारा और 16 श्रृंगार का सामान मुख्य होता है। फिर शाम के समय सुहागिन महिलाएं साफ-सुथरे, सुंदर कपड़े पहनें और 16 श्रृंगार करें। उसके बाद गीली मिट्टी से भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनाएं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी-शंकर की प्रतिमा मिट्टी की स्थापित की जाती है। भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करके उनको वस्त्र अर्पित करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढाएं। हरितालिका व्रत की कथा सुनें। पूरे विधि-विधान से भगवान की आरती उतारें फिर अगली सुबह स्नान करके मां पार्वती की पूजा करें।