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आतिशी का संसद में केंद्र सरकार पर हमला, दिल्ली के साथ टैक्स बंटवारे में भेदभाव का लगाया आरोप

Delhi Tax Revenue Sharing Demand : दिल्ली विधानसभा में जब भाजपा ने सीएजी रिपोर्ट पेश कर आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश की, तब वह खुद ही घिरती दिखाई दी. नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने सदन में यह कहकर हंगामा खड़ा कर दिया कि केंद्र सरकार के सौतेले व्यवहार की वजह से ही दिल्ली को वित्तीय घाटा हुआ है. भाजपा विधायक इससे इतना तिलमिला गए कि हंगामे के बीच स्पीकर को माइक तक बंद करना पड़ा. इस घटना ने साफ कर दिया कि जो मुद्दा भाजपा ने विपक्ष पर उठाया, उसी ने उसकी स्थिति को पूरी तरह असहज बना दिया.


टैक्स राजस्व में बढ़ोतरी, पर नहीं लौटाया हिस्सा

आतिशी ने सदन में स्पष्ट रूप से कहा कि दिल्ली का टैक्स राजस्व लगातार बढ़ा है, लेकिन केंद्र ने उसका हिस्सा नहीं लौटाया. 2019‑20 से दिल्ली का टैक्स रेवेन्यू लगातार बढ़ता गया. बावजूद इसके, केंद्र ने दिल्ली को केवल लगभग 850 करोड़ रुपए की राशि ही वापस की है, और वह भी पिछले तीन वर्षों से नहीं मिली. आतिशी ने तुलना के लिए उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र ने केंद्र को 7.6 लाख करोड़ रुपए टैक्स दिया और उसे वापस मिला 52 हजार करोड़ रुपए, जबकि कर्नाटक ने 4.50 लाख करोड़ टैक्स दिया और उसे मिला 45 हजार करोड़ रुपए. लेकिन दिल्ली पूरी तरह तिरस्कार की शिकार रही. वे कहते हैं कि दिल्ली देश में टैक्स देने वाले शीर्ष तीन राज्यों में से एक है, फिर भी उसे इतना कम हिस्सा क्यों मिलता है?


केंद्र से 50 हजार करोड़ शेयरिंग टैक्स लेकर आएं

आतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से आग्रह किया कि चार इंजन की दिल्ली सरकार अपना हक वापस लेने के लिए केंद्र से पहला कदम उठाए, और प्रतीकात्मक रूप से उन्होंने कहा कि दिल्ली को अगले बजट में 50 हजार करोड़ रुपए शेयरिंग टैक्स के रूप में मिलने चाहिए. उन्होंने जोर देकर बताया कि सीएजी रिपोर्ट में गिरावट दिखाई जा रही है, लेकिन जब ऑन‑टैक्स रेवेन्यू की तरफ देखें, तो स्पष्ट होता है कि दिल्ली में राजस्व में वास्तविक वृद्धि हुई है: 2021‑22 में 4019 करोड़, 2022‑23 में 47363 करोड़, और 2023‑24 में 53681 करोड़ रुपए. उसी अनुपात में अगर केंद्र ने हिस्सेदारी लौटाई होती, तो राजस्व में वास्तविक नुकसान नहीं दिखता.


माइक बंद करना लोकतंत्र के खिलाफ

आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष से यह प्रश्न भी किया कि अगर भाजपा विधायक राजनीतिक बयानबाजी कर सकते हैं, तो आप विधायक के राजनीतिक भाषण को ऐसा क्यों रोका जाता है? जब उन्होंने केंद्र सरकार की कथनी और करनी में अंतर उजागर करने की कोशिश की, तो माइक बंद कर देना लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज दबाना ही था. उनका कहना था कि जो सच्चाई सीएजी रिपोर्ट की बाहरी व्याख्याओं से छुपा दी जा रही है, वह सच्चाई है कि दिल्ली की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ी है, लेकिन केंद्र ने उसे वह राशि नहीं लौटाई, जो उसकी हिस्सेदारी थी.


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