
Sunil Singh : सदन में अशोभनीय बर्ताव के लिए बिहार विधान परिषद से निष्कासित राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी सुनील सिंह को राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनील सिंह की सदस्यता बहाल कर दी है। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि उनका आचरण गलत था लेकिन सजा उसकी तुलना में अधिक मिली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात को भी दर्ज किया है कि 2026 में सुनील सिंह का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। सुनील सिंह सात महीने से सदन से बाहर हैं इसे ही सजा मान लिया जाना उचित होगा।
चेयरमैन फैसला ले सकते हैं
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस फैसले में यह भी कहा है कि संवैधानिक कोर्ट को विधायिका के कामकाज में दखल से दूर रखने की दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता। साथ ही जजों ने यह भी कहा है कि अगर सुनील सिंह दोबारा दुर्व्यवहार करें तो एथिक्स कमेटी और चेयरमैन फैसला ले सकते हैं।
कार्यालय से जवाब मांगा था
बता दे कि सदन के अंदर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अशोभनीय व्यवहार करने और उनकी नकल उतारने वाले सुनील सिंह की सदस्यता विधान परिषद की आचार समिति की सिफारिश पर रद्द कर दी गई थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सुनील सिंह की याचिका पर तीस अगस्त 2024 को नोटिस जारी हुआ था। कोर्ट ने विधान परिषद अध्यक्ष कार्यालय से जवाब मांगा था।
यह प्रक्रिया बंद हो गई
इस बीच विधान परिषद की खाली सीट पर निर्वाचन के लिए अधिसूचना जारी हो गई। इस सीट के लिए जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने इकलौता नामांकन भरा था। ऐसे में उनका निर्वचित होना तय था। अब सुनील सिंह की बहाली के बाद यह प्रक्रिया बंद हो गई है।
कोई भुगतान नहीं ले सकेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया है कि सात महीने तक सदन से बाहर रहे सुनील सिंह इस अवधि के लिए कोई भुगतान नहीं ले सकेंगे लेकिन कार्यकाल पूरा होने के बाद मिलने वाली सभी सुविधाओं के अधिकारी होंगे।
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