
फटाफट पढ़ें
- पंजाब ने ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट शुरू किया
- पराली से हाइड्रोजन बनेगा पहला पायलट
- मान सरकार ऊर्जा क्रांति पर काम कर रही
- किसानों को नई आय और साफ़ पर्यावरण
- रोजगार और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा
Punjab News : पंजाब में ग्रीन ऊर्जा को प्रोत्साहित करने और कृषि क्षेत्र की छवि को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पेडा) ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बेंगलुरु के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के तहत राज्य में बायोमास, विशेष रूप से पराली से ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए अपनी तरह का पहला पायलट डेमोंस्ट्रेशन प्रोजेक्ट स्थापित किया जाएगा.
पंजाब के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री अमन अरोड़ा के दूरदर्शी नेतृत्व में यह रणनीतिक साझेदारी आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि पराली प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों को ग्रीन ऊर्जा में बदलकर एक लाभदायक और टिकाऊ विकल्प के रूप में राज्य की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सके.
नीलिमा और दासप्पा ने समझौते पर हस्ताक्षर किए
पेडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्रीमती नीलिमा और आईआईएससी बेंगलुरु के रजिस्ट्रार द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस मौके पर दस्तावेजों का औपचारिक आदान-प्रदान नीलिमा और इंडरडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एनर्जी रिसर्च (आईसीईआर), आईआईएससी के प्रोफेसर एस. दासप्पा के बीच हुआ. इस दौरान नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा विद्युत मंत्रालय के राज्य मंत्री श्रीपद नाइक भी उपस्थित थे. यह समझौता कपूरथला स्थित सरदार स्वर्ण सिंह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायो-एनर्जी (एसएसएस-एनआईबीई) में आयोजित “रीसेंट एडवांसेज इन बायो-एनर्जी रिसर्च” विषय पर पांचवीं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान किया गया.
स्वच्छ ऊर्जा से आत्मनिर्भर बनेगा पंजाब
इस परिवर्तनकारी सहयोग के लिए पेडा को बधाई देते हुए अमन अरोड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ऊर्जा क्रांति की दिशा में कार्य कर रही है, उन्होंने कहा कि आईआईएससी के साथ साझेदारी राज्य की स्वच्छ ऊर्जा नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत फसली अवशेषों से ग्रीन हाइड्रोजन तैयार किया जाएगा, उन्होंने कहा कि यह पहल एक सशक्त अर्थव्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो न केवल किसानों को सशक्त बनाएगी, बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के साथ-साथ उद्योगों को कार्बन-मुक्त ईंधन भी उपलब्ध कराएगी. इससे एक मजबूत और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर पंजाब का निर्माण होगा.
नवीन ऊर्जा से ग्रामीण रोजगार बढ़ेगा
अमन अरोड़ा ने यह भी कहा कि यह साझेदारी फसली अवशेषों से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की तकनीकी और व्यावसायिक व्यवहार्यता को प्रदर्शित करने वाला एक अनूठा प्रोजेक्ट स्थापित करेगी. यह प्रोजेक्ट पराली जलाने की समस्या से निपटने, वायु गुणवत्ता सुधारने और किसानों के लिए नई आमदनी के स्रोत पैदा करने के साथ-साथ ग्रीन ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहित करेगा, उन्होंने कहा कि यह पहल भारत के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी और पंजाब के महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाएगी.
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