
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार, 28 नवंबर को अभिनेत्री और रामपुर से पूर्व सांसद जयाप्रदा को कर्मचारी राज्य बीमा निगम में भुगतान करने में विफलता से संबंधित एक मामले में आत्मसमर्पण करने से छूट दे दी। एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी ने आदेश पारित किया और मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को तय की। बता दें कि एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 10 अगस्त को जयाप्रदा को भुगतान करने में विफल रहने के लिए दोषी ठहराया था। चेन्नई में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने ईएसआईसी की एक शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद जयाप्रदा और सह-अभियुक्तों को छह महीने जेल की सजा सुनाई।
New Delhi: 37.68 लाख की रकम है बकाया
कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अनुसार, जयाप्रदा के स्वामित्व वाले जो अब बंद हो चुका है। सिनेमा थिएटर का प्रबंधन कर्मचारियों के बकाए से ईएसआई राशि की कटौती कर रहा था, लेकिन वह राज्य बीमा निगम को पैसे का भुगतान नहीं कर रहा था। जानकारी के अनुसार 37.68 लाख की रकम बकाया बताई गई थी। जयाप्रदा और उनके भाई रामकुमार और राज बाबू जयाप्रदा सिनेमा के शेयर होल्डर थे, जो लगभग 10 साल पहले बंद हो गया था।
New Delhi: कानून का किया उपयोग
इस मामले को लेकर ईएसआई अधिनियम की धारा 40 के तहत, प्रमुख नियोक्ता को नियोक्ता के योगदान के हिस्से और कर्मचारियों के योगदान के हिस्से का भुगतान करना आवश्यक है। मुख्य नियोक्ता कर्मचारियों से उनके वेतन में से उनके अंशदान की वसूली करने का हकदार है। मजिस्ट्रेट द्वारा उसे दोषी ठहराए जाने के बाद, उसने आदेश को चुनौती देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने 20 अक्टूबर को सजा को निलंबित करने की उनकी याचिका खारिज कर दी और निर्देश दिया कि अभिनेत्री और अन्य आरोपी आत्मसमर्पण करने और 20-20 लाख रुपये जमा करने के बाद ही निचली अदालतों में जमानत या सजा के निलंबन के लिए आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
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