
J&K News : जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकवाद से संबंध रखने के मामले में सेवा से बर्खास्त कर दिया. खबर है कि यह कर्मचारी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन (HM) जैसे आतंकी संगठनों के लिए काम करता था. जिसमें से एक पुलिस कांस्टेबल समित एक सरकारी शिक्षक, एक मेडिकल कॉलेज का जूनियर असिस्टेंट शामिल है.
जानें कौन है शामिल
- वसीम अहमद खान – सरकारी मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर में जूनियर असिस्टेंट
- अजाज़ अहमद – स्कूल एजुकेशन विभाग में शिक्षक
- मलिक इशफाक नसीर – पुलिस कांस्टेबल, भर्ती वर्ष 2007
हालांकि ये तीनों फिलहाल जेल में बंद हैं. इन तीनों पर सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत कार्रवाई की है, जो जांच करने की सेवा समाप्ति की इजाजत देता है. मामला 2007 का है जब मलिक पुलिस कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुआ था. मलिक को 2007 में पुलिस कांस्टेबल के रूप में भर्ती किया गया था. जिसके बाद के जांच में पता चला कि उसका भाई मलिक आसिफ नसीर, जो लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकी था. जिसे 2018 में मुठभेड़ में मार गिराया गया.
आतंकियों को एक-एक पल की देता था जानकारी
बता दें कि मलिक खुद LeT के लिए हथियार, गोला-बारूद और नशे की तस्करी जैसे कामोंं को नंजाम देता था. इतना ही नहीं वह GPS की मदद से आतंकियों तक सामग्री पहुंचाता था. साल 2021 में उसका पर्दाफाश हो गया जब जम्मू में हथियार तस्करी के मामले को लेकर जांच की गई तो उसी दौरान उसके आतंकी संपर्क सामने आए. सुरक्षा अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया, “मलिक ने न केवल हथियार को गिराने की जगह भी चिन्हित नहीं की बल्कि पाकिस्तान के आतंकियों को एक-एक पल की जानकारी देते हुए देश की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाई. एक पुलिसकर्मी होते हुए उसने शपथ और वर्दी दोनों के साथ विश्वासघात किया.”
हिजबुल मुजाहिदीन में हुआ था शामिल
अब अजाज़ की करें तो साल 2011 की बात है जब वह शिक्षक बना जिसके फौरन बाद हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होकर एक भरोसेमंद ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) बन गया. पुलिस ने नवंबर 2023 में उसके मित्र के साथ टॉयोटा फॉर्च्यूनर से हथियार, गोला-बारूद के साथ गिरफ्तार किया. जब जांच हुई तो पता चला कि यह सामग्री PoJK में सक्रिय आतंकी आबिद रामज़ान शेख के निर्देश पर ली गई थी जो कश्मीर में सक्रिय आतंकियो तक पंहुचाई जानी थी.
मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट पर तैनात
वसीम श्रीनगर के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट के पद तैनात किया गया था. जो आतंकी गतिविधियों में मद्द करता था. जिसके बाद पुलिस ने उसके खिलाफ जांच शुरू की तो मालूम हुआ कि वह आतंकी नेटवर्क को सूचनाएं लीक करने और अन्य लॉजिस्टिक सहायता देने अहम किरदार अदा करता है.
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आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति
दरअसल 2020 से लेकर अब तक 75 से अधिक आतंकी सहयोगियों और OGWs को एलजी मनोज सिन्हा सरकारी सेवा से हटा चूके हैं. जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आतंकवाद के प्रति कोई सहानुभूति बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वह किसी भी पद या संस्था में हो. यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर में सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति के चलते की गई है.
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