
Hindenburg Report: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 24 नवंबर को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड(सेबी) से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अडानी के कथित आचरण के बारे में निर्णय लेने के लिए अखबारों की रिपोर्टों का पालन करेगा।
Hindenburg Report: वकील प्रशांत भूषण याचिकाकर्ता की ओर से हुए पेश
याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए वकील प्रशांत भूषण ने आज दलील दी कि इस मामले में सेबी का आचरण विश्वसनीय नहीं था। उन्होंने कहा, “हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सेबी की जांच विश्वसनीय नहीं है। उनका कहना है कि 13 से 14 Entries अडानी से जुड़ी हैं, लेकिन वे इस पर गौर नहीं कर सकते क्योंकि एफपीआई दिशानिर्देशों में संशोधन किया गया है।”
विशेषज्ञ समिति की गई थी गठित
बता दें कि इस संबंध में इस साल की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को इस मामले की स्वतंत्र रूप से जांच करने के अलावा सेवानिवृत्त न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने को कहा था। विशेषज्ञ समिति ने मई में जारी अपनी रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया इस मामले में सेबी की ओर से कोई चूक नहीं पाई सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज दलील दी कि मीडिया रिपोर्ट अब कार्यों को प्रभावित करने के लिए “प्लांट” की जा रही हैं। मेहता ने आरोप लगाया, “भारत के भीतर फैसलों को प्रभावित करने के लिए भारत के बाहर कहानियां गढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसका एक उदाहरण ओसीसीआरपी रिपोर्ट है।”
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