
Delhi : आज महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जन्म जयंती है। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने महाकवि सुब्रमण्यम भारती की रचनाओं के संकलन के विमोचन कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित किया। पीएम मोदी ने बुधवार को कहा कि आज मैं उनके शब्द संकलन के इस पवित्र काम का काशी के सांसद के रूप में भी स्वागत करता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि आज देश महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जन्म जयंती मना रहा है। मैं सुब्रमण्यम भारती को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आज भारत की सांस्कृति और साहित्य के लिए, भारत के स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों के लिए और तमिलनाडु के गौरव के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है।
‘गीता के प्रति गहरी आस्था थी’
पीएम मोदी ने कहा कि आज गीता जयंती का पावन अवसर भी है। सुब्रमण्यम भारती जी की गीता के प्रति गहरी आस्था थी और गीता ज्ञान को लेकर उनकी समझ भी उतनी ही गहरी थी। उन्होंने गीता का तमिल में अनुवाद किया, उसकी सरल और सुगम व्याख्या भी की और आज गीता जयंती, सुब्रमण्यम भारती की जयंती और उनके कामों के प्रकाशन का संयोग, यानी एक प्रकार से त्रिवेणी संगम है।
‘काशी की विरासत का एक हिस्सा बन चुका है’
उन्होंने कहा कि मेरे और सुब्रह्मण्य भारती के बीच एक जीवंत कड़ी है, एक आत्मिक कड़ी हमारी काशी भी है। मेरी काशी से उनका रिश्ता, काशी में बिताया गया उनका समय, ये काशी की विरासत का एक हिस्सा बन चुका है। वो काशी में ज्ञान प्राप्त करने आए और वहीं के होकर रह गए। उनके परिवार के कई सदस्य आज भी काशी में रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अपनी शानदार मूंछें रखने की प्रेरणा भी भारतीयार को काशी में रहते हुए मिली थीं।
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