
Devendra Fadnavis : महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में तनाव लगातार बढ़ रहा है. हिंदुत्व की विचारधारा पर दावा करने वाली बीजेपी और शिवसेना के बीच टकराव की स्थिति खुलकर सामने आ चुकी है. दोनों दल एक दूसरे के नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कराने की कोशिश में लगे हैं. जिससे मतभेद और गहरे हो गए हैं. हाल ही में विवाद अमित शाह तक पहुंचा था, लेकिन अब तक किसी समाधान के संकेत नहीं दिखे हैं. इसी बीच, देवेंद्र फडणवीस ने पहली बार खुलकर प्रतिक्रिया देते हुए एकनाथ शिंदे के लंका जलाने वाले बयान पर पलटवार किया है. आमतौर पर विवादों पर चुप रहने वाले फडणवीस का यह बयान राजनीतिक हलकों में खासा चर्चा में है.
फडणवीस का शिंदे बयान पर पलटवार
सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने शिंदे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी को रावण से जोड़ना बिल्कुल गलत है, उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, “कुछ लोग हमारी ‘लंका जलाने’ की बात करते हैं, लेकिन हम लंका में रहते ही नहीं. हम भगवान श्रीराम को मानने वाले हैं, रावण को नहीं. चुनाव के दौरान ऐसी बातें कही जाती हैं, उन्हें गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.” उन्होंने आगे कहा कि हम ‘जय श्री राम’ का जयकारा लगाने वाले लोग हैं और इसी विचारधारा के साथ आगे बढ़ते हैं.
फडणवीस ने राम मंदिर पर धर्मध्वजा लहराई
सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने आगे कहा कि कल ही हमने राम मंदिर पर धर्मध्वजा लहराई है. हम भगवान श्रीराम की पूजा करने वाली पार्टी के लोग हैं. लंका तो हम जलाएंगे. पालघर जिले में नगर पंचायत और नगर निकाय के चुनाव के लिए आयोजित प्रचार रैली के दौरान सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ये बातें कहीं. बता दें कि इसी जिले में प्रचार करते हुए एकनाथ शिंदे ने बिना बीजेपी का नाम लिए ही रावण वाली बात कही थी, जिसे सीधे तौर पर भगवा दल से जोड़ा गया था. एकनाथ शिंदे ने कहा था कि रावण भी अहंकारी था और उसकी लंका भी जल गई थी. आपको भी दो दिसंबर को ऐसा ही करना है.
शिवसेना में नाराजगी बढ़ी
वहीं बीजेपी की ओर से शिवसेना के कई पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल किए जाने से शिवसेना में नाराजगी बढ़ गई है. शिवसेना का मानना है कि यदि बीजेपी निचले स्तर पर उसके संगठन को कमजोर करती रही, तो आगे चलकर गंभीर मुश्किलें पैदा हो सकती हैं. इसी मुद्दे के विरोध में शिवसेना के मंत्री हाल ही में हुई देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए थे और बाद में खुले तौर पर अपना विरोध भी दर्ज कराया था. इसके बाद एकनाथ शिंदे दिल्ली पहुंचे और अमित शाह से मुलाकात की. माना जा रहा है कि उन्हें आश्वासन दिया गया कि यदि शिवसेना बीजेपी नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल नहीं करेगी, तो बीजेपी भी ऐसी कार्रवाइयों से परहेज करेगी.
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