
Gujarat farmers protest : अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में किसानों पर हुई जुल्म की निंदामंद नज़रिए से आवाज उठाई है. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि 30 साल से राज कर रही भाजपा सरकार ने किसानों की आवाज़ दबाने की इन्साफ़ की हदें पार कर दी हैं. प्रवीण राम और राजू करपड़ा – जो किसानों के हक़ की बात कर रहे थे – उनकी गिरफ़्तारी ने दिलों में खलिश पैदा कर दी है. केजरीवाल ने साफ़ कहा: जो कायदों की ख़िलाफ़त कर रहे हैं, उन्हें जनता अगली बार सबक सिखाएगी.
बोटाद हड़दड़ गांव की महापंचायत: किसानों की दो मुख्य मांगें
मामला बोटाद जिले के हड़दड़ गाँव की महापंचायत का है. किसानों की दो मुख्य माँगें थीं – ‘करदा प्रथा’ के ख़िलाफ़ न्याय और एपीएमसी मंडी में पूरी फ़सल का उचित मूल्य. करदा प्रथा में व्यापारी पहले कुछ दाम तय कर लेते हैं और बाद में बचे हुए अनाज के बदले घटिया दाम थोप देते हैं. दूसरा मसला यह कि सरकार की नियमावली के बावजूद व्यापारी मंडी में पूरी खरीद करने की जगह किसान को अपनी ही फसल दूर फैक्ट्री या गोदाम तक भेजने को कहते हैं – जो कि किसान के लिए आर्थिक बोझ है. किसान बस यही माँग कर रहे थे कि उनकी मेहनत का सच्चा मुल्य दिया जाए और शोषण रोका जाए.
शांतिपूर्ण आंदोलन पर लाठीचार्ज और नेताओं की गिरफ्तारी
अफसोस की बात यह हुई कि शांतिपूर्ण तरीके से जुटे किसानों पर पुलिस ने कड़े कदम उठाए – लाठीचार्ज और आंसू गैस की नौबत आई. 85 किसानों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई, जिनमें कुछ मामलों में हत्या के प्रयास की धाराएँ भी लगाईं गईं. इसी दौरान आम आदमी पार्टी के दो नेता प्रवीण राम और राजू करपड़ा गिरफ्तार कर लिए गए. केजरीवाल ने गुजरात सरकार से माँग की है कि इन निहत्थे किसानों पर दर्ज सारे केस वापस लिए जाएँ और उनकी जायज़ मांगों को तुरंत माना जाए.
अहंकार और दमन का अंजाम जनता तय करेगी – केजरीवाल
केजरीवाल ने अपनी बात करते हुए इतिहास का हवाला देते हुए चेतावनी भी दी — 1985 में कांग्रेस का अहंकार और 1987 के किसान आंदोलन के बाद नतीजा क्या हुआ, वह सबके सामने है. उन्होंने कहा कि अगर जनता का दर्द नहीं सुना गया तो लोग बदलाव के लिए आगे आएँगे. केजरीवाल ने केंद्र की बीजेपी-सरकार द्वारा AAP नेताओं पर हुए कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि दबावों से हम नहीं डरते – चाहे हमें जेल जाना पड़े, हम लौटकर सामने आते हैं. उनकी अपील है कि गरीब और मेहनतकश किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज सभी फरोन केस वापिस लिये जाएँ — नेताओं पर केस करना हो तो करिए, मगर किसानों को आज़ाद रखिए.
किसानों की आवाज: एकजुट होकर हक़ के लिए आगे बढ़ें
इस विरोध-प्रदर्शन में दिल का जो सुर था, वह आम आदमी के साथ हमदर्दी की आवाज़ भी था. केजरीवाल ने गुजरात के किसानों से अपील की है कि एकजुट रहकर अपने हक़ की माँग करें – क्योंकि इंसाफ़ की राह में मौन कभी फ़ायदा नहीं देता. यह मामला सिर्फ़ स्थानीय नहीं, बल्कि क़ौमी मामला है – किसानों की दुआ और आह ने हमेशा से सत्ता को हिलाया है. अगर सरकार अहंकार छोड़ दे और किसानों की मांगें सुन ले, तो बेहतरी की राह आसान होगी – वरना अगला चुनाव सबक दे सकता है.
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