
Supreme Court Road Accident Case : सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कैशलेस उपचार योजना शुरू करने का केंद्र सरकार को आदेश दिया है। साथ ही इसे जल्द लागू करने को भी कहा है। बता दें कि इस योजना में घायल हुए व्यक्ति को अधिकतम डेढ़ लाख तक का मुफ्त इलाज मिल सकेगा। वहीं इस मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मोटर वाहन कानून की धारा 162 के तहत कैशलेस उपचार की योजना बनाई गई हैं।
इस मामले में सरकार ने जानकारी देते हुए बताया कि दुर्घटना के तुरंत बाद व एक घंटे की अवधि के अंदर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार की योजना बनाई गई है। जिसके बाद जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने आदेश देते हुए कहा कि केंद्र सरकार अगस्त 2025 के अंत तक एक हलफनामा दाखिल कर योजना के लाभार्थियों की संख्या की स्थिति का ब्यौरा दे। इस योजना को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है।
कैशलेस योजना के सुचारू कार्यान्वयन आवश्यक हैं
दरअसल पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही करते हुए केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था गोल्डन ऑवर स्कीम को एक सप्ताह के भीतर लागू किया जाए। मामले में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि ” काफी लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे है और मर रहे हैं। विशाल हाइवे बना रहे हैं, लेकिन लोग वहां भी मर रहे हैं। क्योंकि वहां कोई सुविधा ही नहीं है। इसको लेकर कोई गोल्डन ऑवर ट्रीटमैंट योजना भी नहीं है।
इतने हाइवे बनाने का क्या फायदा है?” वही दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से वकील ने कहा था कि MORTH अन्य चुनौतियों को भी हल करने की कोशिश कर रहा है, जो कैशलेस योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए बेहद जरूरी है। जिसपर जस्टिस ओका ने कहा कि आपको कहीं से शुरुआत तो करनी पड़ेगी। जिसके बाद आप योजना में सुधार कर सकते हैं।
जानें क्या थी कोर्ट की पिछली सुनवाई
बता दें कि कोर्ट की पिछली सुनवाई में कहा गया था कि गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज की योजना बनाना न केवल संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की रक्षा है, बल्कि यह अधिनियम 1988 की धारा 162 के तहत केंद्र सरकार का वैधानिक ज़िम्मेदारी भी है। जिसके चलते कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मोटर वाहन अधिनियम की 162 की उपधारा (2) के अनुसार यथाशीघ्र तथा किसी भी स्थिति में 14 मार्च 2025 तक लागू किया जाए। इतना ही नहीं कोर्ट ने अपनी बात को पूरा करते हुए साफ कर दिया कि कोर्ट अब इसके लिए और समय नही देगा।
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