धर्म

मरते वक्त रावण ने बताई थी लक्ष्मण को ये ज्ञान की बातें, जानिए –

प्रभु श्रीराम के तीर से जब रावण मरणासन्न अवस्था में हो गया, तब श्रीराम ने लक्ष्मण से उसके पास जाकर शिक्षा लेने को कहा। श्रीराम की यह बात सुनकर लक्ष्मण चकित रह गए। भगवान श्रीराम ने लक्ष्‍मण से कहा कि इस संसार में नीति, राजनीति और शक्ति का महान पंडित रावण अब विदा हो रहा है, तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता।

श्रीराम की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के नजदीक सिर के पास जाकर खड़े हो गए, लेकिन रावण ने कुछ नहीं कहा। लक्ष्मण ने लौटकर प्रभु श्रीराम से कहा कि वो तो कुछ बोलते ही नहीं। तब श्रीराम ने कहा यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना है तो उसके चरणों के पास हाथ जोड़कर खड़े होना चाहिए, न कि सिर के पास। श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा, जाओ और रावण के चरणों के पास बैठों। यह बात सुनकर लक्ष्मण इस बार रावण के चरणों में जाकर बैठ गए।

शुभ काम को शीघ्र करना चाहिए

पहली बात जो लक्ष्मण को रावण ने बताई वह यह थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो, कर डालना चाहिए और अशुभ को जितना टाल सकते हो, टाल देना चाहिए अर्थात शुभस्य शीघ्रम।

रावण ने लक्ष्मण से कहा की मैनें प्रभु श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देर कर दी। इसी कारण मेरी यह हालत हुई। ये मैं पहले ही पहचान लेता तो मेरी यह गत नहीं होती।

रावण ने बताया शत्रु को कभी छोटा मत समझो

उसने ने लक्ष्मण को दूसरी शिक्षा यह दी कि अपने प्रतिद्वंद्वी, अपने शत्रु को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। मैं यह भूल कर गया। मैनें जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा। उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया।

कोई तुच्छ नहीं होता

महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीसरी सीख यह दी कि मैंने जब ब्रहमाजी से अमर होने की वरदान मांगा था। तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई भी मेरा वध न कर सके ऐसा वर मांगा था, क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था। ये मेरी गलती हुई।

Related Articles

Back to top button