
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर तारिक मंसूर को प्रदेश सरकार द्वारा एमएलसी पद के लिए नॉमिनेट किया गया था। जिसको लेकर राज्यपाल को शिफारस किया गया था। इसी पर एएमयू थियोलॉजी विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद ने तंज कसा है। उन्होनें कहा कि एएमयू वीसी की गरिमा के अनुसार नहीं है।
एमएलसी पद, लेकिन वर्तमान समय में किसी की भी गरिमा नहीं रही है। जब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया द्वारा नॉमिनेट राज्यसभा सांसद पद कबूल करने ही गरिमा के विरुद्ध था। जब चीफ जस्टिस की ही गरमा गिर गई है। तो उसके सामने वाइस चांसलर की गरमा की क्या बात करें।
एएमयू थियोलॉजी विभाग के सेवानिवृत्त पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद ने कहा प्रदेश सरकार ने एएमयू वीसी तारिक मंसूर का नाम एमएलसी के लिए नॉमिनेट करके राज्यपाल के लिए भेजा है। तो वह राजपाल के यहां से कबूल हो ही जाएगा। प्रदेश सरकार के जो अधिकार में बड़े से बड़ा पद जो था।वह उसने उन्हें दे दिया है।
प्रदेश सरकार वीसी के कार्यकाल और कार्यशैली से संतुष्ट रही है। अब तक एएमयू से रिटायर हुए लोग राष्ट्रीय पद पर ही गए हैं। लेकिन जब से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने नॉमिनेट एमपी एमपी राज्य सभा का पद कबूल किया है। जब चीफ जस्टिस की ही गरिमा गिर गई है। तो वाइस चांसलर की गरिमा के बारे में क्या बात करें। अब किसी चीज की गरिमा ईमान इज्जत नहीं रही है।
इससे पूर्व ज्यादातर लोग गवर्नर वाइस प्रेसिडेंट माइनॉरिटी कमेटी के चेयरमैन बने हैं। राष्ट्रीय स्तर के बड़े से बड़े पद मिलते रहे। अब जो वाइस चांसलर को पद मिला है। वह उनके पद से बहुत कम है। इससे यह पता लग गया है कि वाइस चांसलर की मौजूदा सरकार में अच्छी छवि है। आजकल सरकार की मुसलमानों की तरफ तवज्जो है। ऐसा भी हो सकता है कि सरकार मुसलमानों को रिझाने के लिए ऐसा कर रही है। एएमयू बिरादरी वाइस चांसलर को एमएलसी का पद मिलना बहुत छोटा मान रही है वाइस चांसलर को बड़ा पद मिलना चाहिए था।।
रिपोर्ट – संदीप शर्मा
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