
Supreme Court : झारखंड की एक महिला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (ADJ) द्वारा दायर चाइल्ड केयर लीव (CCL) से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ, जिसमें जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन शामिल हैं, ने चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई अगस्त के पहले सप्ताह में होगी.
194 दिन की चाइल्ड केयर लीव
दरअसल याचिकाकर्ता जज, जो अनुसूचित जाति से आती हैं, उन्होंने 194 दिन की चाइल्ड केयर लीव मांगी थी, लेकिन झारखंड हाई कोर्ट ने केवल 92 दिन की छुट्टी को मंजूर दी. वहीं जज का कहना है कि वह अब तक 4000 से ज्यादा मामलों का निपटारा कर चुकी हैं और उन्हें चाइल्ड केयर की जरूरत है.
सरकारी अवधि में 730 दिन की छुट्टी का अधिकार
याचिका में यह भी कहा गया है कि CCL नियमों के अनुसार, किसी भी सरकारी महिला अधिकारी को पूरी सेवा अवधि में 730 दिन की छुट्टी का अधिकार है. बावजूद इसके उन्होंने सिर्फ 6 महीने की छुट्टी मांगी थी. झारखंड हाई कोर्ट की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर 8 महीने की छुट्टी दे दी गई तो इससे अदालत के कामकाज पर असर पड़ेगा और एक गलत परंपरा शुरू हो सकती है.
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कोर्ट के फैसले पर महिला अधिकारियों की निगाह
बता दें ऐसा पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. इससे पहले 29 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर राज्य सरकार और हाई कोर्ट से जवाब तलब करने को कहा था. इतना ही नहीं हाई कोर्ट को महिला जज की अर्जी पर दोबारा विचार करने के निर्देश भी दिए थे. यह मामला सिर्फ एक महिला जज की छुट्टी से नहीं बल्कि न्यायिक सेवाओं में कार्यरत एकल माताओं के अधिकारों और संवेदनशीलता से जुड़ा है. हालांकि कोर्ट के अगले फैसले को लेकर देशभर की महिला अधिकारियों की निगाहें टिकी हुई हैं.
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