
Allegation on Bihar Government: AIMIM प्रदेश अध्यक्ष और अमौर से एमएलए अख्तरुल इमान ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार सरकार दलित-अल्पसंख्यक विरोधी हैं। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अख्तरुल इमान ने कहा कि बिहार की जनता की गाड़ी कमाई यहां तक की बिहार के भिखारी से भी लिए गए टैक्स के पैसे से एकत्र 500 करोड रुपये से बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना की और जो उनकी रिपोर्ट आई है, उसमें कई पहलुओं से कुछ लोग पीछे रह गए हैं।
आबादी के हिसाब से आनुपातिक हिस्सेदारी की मांग
उन्होंने कहा, एससी-एसटी की 20% आबादी है, नौकरी में उनके हिस्सेदारी चार लाख 11 हजार होती है लेकिन उनको 2 लाख 91 हजार ही नौकरी मिल पाईं। 120000 जॉब एक वर्ग की खत्म हो गई और मुस्लिम माइनॉरिटी जिसकी आबादी 18% है। इसलिए आज से नौकरी में उनकी आनुपातिक हिस्सेदारी 3,68000 होती है लेकिन सिर्फ 1,73000 को नौकरी मिली। 1,95000 नौकरी खत्म कर दी गई।
‘सबका साथ-सबका विकास का दावा सिर्फ झूठ का पुलिंदा’
उन्होंने कहा, अगर बिहार सरकार ईमानदार है। इसने जाति आधारित गणना कराई है। जो-जो समुदाय पीछे रह गए हैं। उनको ऊपर उठाने के लिए उनके पास कोई पॉलिसी नहीं है। इसलिए हमारी मांग है कि एससी और मुस्लिम माइनॉरिटी के लोगों को विशेष प्रावधान के तहत सरकारी नौकरियों में वाजिब अनुपातिक हिस्सेदारी दी जाए। नहीं तो यह कहीं से भी सुशासन की सरकार या इंसाफ की सरकार कहलाने के लायक नहीं है। सबका साथ सबका विकास करने का इनका दावा झूठा का पुलिंदा है। यह सरकार दलित और अल्पसंख्यक विरोधी है।
रिपोर्टः सुजीत श्रीवास्तव, ब्यूरोचीफ, बिहार
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