
Punjab News : पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सिबिन सी ने बताया है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अब वोटिंग प्रतिशतता के अनुमानित रूझानों के बारे में समय पर अपडेट प्रदान करने के लिए एक सुचारू, प्रौद्यौगिकी-आधारित प्रणाली शुरू की जा रही है. यह नयी प्रक्रिया पहले के मैनुअल रिपोर्टिंग तरीकों के साथ जुड़े समय के अंतर को काफी हद तक कम करेगी. यह पहलकदमी आयोग की समय पर लोक संपर्क की वचनबद्धता के साथ मेल खाती है, जिस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा कई बारी जोर दिया गया है.
चुनाव नियम 1961 के नियम 49 एस के कानूनी ढांचे के अधीन, प्रीज़ाईडिंग अफसर (पी. आर. ओ.) द्वारा पोलिंग एजेंटों को फार्म 17 सी जारी करना जरूरी होता है, जिसमें कितने वोट पड़े, इसकी जानकारी होती है. यह एजेंट उम्मीदवारों की तरफ से नामजद किये जाते हैं और पोलिंग स्टेशन पर मौजूद होते हैं. हालाँकि यह कानूनी जरूरत अभी भी बदली नहीं है परन्तु वोटर टर्नआउट एप को अपडेट करने की प्रक्रिया, जोकि लोगों को अनुमानित वोटर मतदान प्रतिशत के रूझानों के बारे सूचित करने के लिए एक सुविधाजनक ढंग के तौर पर विकसित हुई थी, को अब और तेज और सभ्य बनाया जा रहा है.
हर दो घंटों के बाद प्रकाशित होते रहेंगे
इस नयी पहलकदमी के अंतर्गत हर पोलिंग स्टेशन के प्रीजाईडिंग अफसर (पी. आर. ओ.) अब पोलिंग वाले दिन हर दो घंटों के बाद नये ईसीआइ नैट एप पर वोटर मतदान को सीधा दर्ज करेंगे जिससे अनुमानित वोटिंग रूझानों के अपडेट में समय के अंतर को घटाया जा सके. यह जानकारी अपने आप हलका स्तर पर इकट्ठी हो जायेगी. अनुमानित वोटिंग प्रतिशत के रुझान पहले की तरह हर दो घंटों के बाद प्रकाशित होते रहेंगे. खास बात यह है कि वोटिंग समाप्त होने के बाद पोलिंग स्टेशन छोड़ने से पहले पी. आर. ओ. द्वारा ईसीआइ नैट में डाटा दर्ज किया जायेगा, जिससे रुझान की अपडेट देरी से बचेगी और पोलिंग के अनुमानित प्रतिशत संख्याएं हलका स्तर पर वोटर टर्नआउट एप में उपलब्ध होंगी, जोकि नैटवर्क कनैकटिवटी के अधीन होगा. जहाँ मोबाइल नैटवर्क उपलब्ध नहीं होगा, वहाँ डाटा आफलाईन दर्ज करके कनैकटिवटी मिलने के उपरांत सिंक किया जा सकेगा. यह अपडेट हुआ वोटिंग टर्नआउट एप अब बिहार मतदान से पहले ईसीआइ नैट का अटूट हिस्सा बन जायेगा.
अधिकारियों द्वारा हाथों इकट्ठा किया जाता था
पहले वोटर टर्नआउट डाटा सैक्टर अधिकारियों द्वारा हाथों इकट्ठा किया जाता था और रिटर्निंग अफसरों तक फोन, एस. एम. एस या मैसेजिंग ऐपस के द्वारा भेजा जाता था. यह जानकारी हर दो घंटों के बाद इकट्ठी करके वोटर टर्नआउट एप पर अपलोड की जाती थी. अक्सर वोटिंग प्रतिशत के आंकड़े देरी से अपडेट होते थे, कई बार देर रात या अगले दिन तक जब तक भौतिक रिकार्ड नहीं आते थे, इस कारण 4-5 घंटों या उससे भी अधिक की देरी हो जाती थी, जोकि कई बारी गलतफहमियां पैदा करती थी.
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