
Punjab News : पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस बयान का खंडन किया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पंजाब में आई बाढ़ का कारण अवैध खनन है.
आरोप निराधार, रिकॉर्ड वर्षा बाढ़ का कारण
चंडीगढ़ में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री ने इन आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया और कहा कि बाढ़ का कारण रिकॉर्ड स्तर की वर्षा और नदियों में अभूतपूर्व जल प्रवाह है. उन्होंने कहा, वर्तमान में हमारा ध्यान प्रभावित परिवारों के राहत और पुनर्वास पर होना चाहिए, न कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप पर.

कैबिनेट मंत्री ने जानकारी दी कि इस वर्ष पंजाब ने रावी नदी में 14.11 लाख क्यूसेक का असाधारण जल प्रवाह देखा, जो 1988 में दर्ज 11.2 लाख क्यूसेक को भी पार कर गया. उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा पिछले दो वर्षों में किए गए 200 करोड़ रुपये से अधिक के सुदृढ़ीकरण कार्यों के चलते नदी के किनारे स्थित बंधों ने इस दबाव को सहन किया और सरकार द्वारा नियंत्रित ब्यास नदी के बंधों में कोई दरार नहीं आई.
रावी नदी में खनन प्रतिबंधित
केंद्रीय मंत्री के बयान को तर्कहीन करार देते हुए कैबिनेट मंत्री ने स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से पांच किलोमीटर के दायरे में सेना और बीएसएफ की पाबंदियों के कारण रावी नदी में खनन प्रतिबंधित है, वहीं ब्यास नदी एक घोषित “संरक्षण रिजर्व” है, जहां खनन पूरी तरह से निषिद्ध है. घग्गर नदी में कोई खनन नहीं होता, जबकि सतलुज नदी में केवल स्वीकृत माइन प्लान और राज्य पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (SEIAA) की पर्यावरणीय स्वीकृति के तहत ही खनन की अनुमति है. उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब में खनन पूरी तरह से नियंत्रित है और बाढ़ सुरक्षा बंधों से 100 मीटर की दूरी के भीतर कोई खनन गतिविधि नहीं होती.
खनन को जिम्मेदार ठहराना पीड़ितों के साथ अन्याय
केंद्रीय मंत्री के दावों को खारिज करते हुए बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि बाढ़ का कारण केवल अभूतपूर्व वर्षा है, जिसमें चंबा में 1205 प्रतिशत, कांगड़ा में 275 प्रतिशत और पठानकोट में 820 प्रतिशत सामान्य से अधिक वर्षा 25 अगस्त को दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि इस तरह की प्राकृतिक आपदा के लिए अवैध खनन को जिम्मेदार ठहराना पंजाब के पीड़ित लोगों के साथ अन्याय है.
केंद्र सरकार को आत्ममंथन करने की सलाह देते हुए मंत्री गोयल ने कहा कि हर वर्ष पंजाब राष्ट्रीय हित में बीएसएफ और सेना की चौकियों की रक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च करता है.
लंबित फैसलों पर जताया खेद
उन्होंने खेद जताया कि बीएसएफ और सेना के लिए महत्त्वपूर्ण सीमा चौकियों की सुरक्षा हेतु पंजाब सरकार के प्रस्ताव भारत सरकार के पास अब भी लंबित हैं, जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव इस संबंध में पहले ही अनुरोध कर चुके हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी दिए जाने के बावजूद अभी तक 28 में से केवल 19 कार्यों को ही मंजूरी दी गई है और निधियों की मंजूरी अभी बाकी है.
BBMB की भेदभावपूर्ण नीति की आलोचना
कैबिनेट मंत्री ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) की पंजाब के प्रति भेदभावपूर्ण नीति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि तकनीकी समिति की बैठक में पंजाब ने जून महीने में धान की बुआई के लिए 29,500 क्यूसेक पानी की मांग स्पष्ट रूप से रखी थी. बार-बार पत्र और अनुरोधों के बावजूद पंजाब को केवल 21,000 क्यूसेक पानी आवंटित किया गया, जबकि नियमानुसार भराव अवधि में भागीदार राज्यों की मांग के अनुसार पानी दिया जाना चाहिए. अगर हमें हमारा पूरा हिस्सा मिलता, तो सिंचाई की हमारी ज़रूरतें पूरी होतीं और बांधों में अतिरिक्त पानी के भंडारण के लिए पर्याप्त जगह भी होती, गोयल ने कहा.

मंत्री ने यह भी कहा कि BBMB का रिकॉर्ड मनमाने ढंग से काम करने का रहा है, जब पंजाब राहत की मांग करता है तो वह चुप्पी साध लेता है, लेकिन जब दबाव बनाना होता है तो अपने निर्णय थोप देता है.
रावी नदी पर बैराज बनाने की मांग पर डाला प्रकाश
रावी नदी पर उझ के नीचे मकोरा पत्तन पर बैराज बनाने की पंजाब की लंबे समय से चली आ रही मांग पर प्रकाश डालते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह परियोजना सीमावर्ती क्षेत्रों में सिंचाई, पेयजल और भूजल पुनर्भरण के लिए कम जल प्रवाह को नियंत्रित करने में सहायक होगी. उन्होंने बताया कि पंजाब का उझ जल पर अधिकार है और इसके लिए विस्तृत परियोजना योजना पहले ही केंद्रीय जल आयोग (CWC) को सौंपी जा चुकी है.
बंधो को समय रहते मजबूत करने से कम हुआ नुकसान
उन्होंने दोहराया कि इस वर्ष की बाढ़ हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भारी वर्षा, पाकिस्तान से आने वाले प्रवाह और स्थानीय नालों के कारण आई, फिर भी समय रहते बंधों को मजबूत करने के कारण क्षति बहुत कम हुई. ब्यास नदी में भी इस बार पोंग डैम में ऐतिहासिक जल प्रवाह दर्ज किया गया, जो अब तक के सभी रिकॉर्ड्स से अधिक था.
इस मौके पर प्रमुख रूप से उपस्थित अधिकारियों में मुख्य अभियंता (ड्रेनेज) हरदीप सिंह मेंदीरत्ता और मुख्य अभियंता (मुख्यालय) जितेंद्र पाल सिंह शामिल थे.
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