Madhya Pradesh

एमपी के तराना सीट पर हर बार बदल जाता है विधायक, BJP  करेगी इस बार वापसी

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले की अपनी ही अलग राजनीतिक खासियत है। जिले के अंतर्गत आने वाली तराना विधानसभा सीट के मतदाताओं का मिजाज भी कुछ अलग ही है। पिछले 3 दशकों के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो इस विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 5 बार जीत भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई है तो 2 बार कांग्रेस के पक्ष में भी यह जीत आई है। साथ ही तराना सीट पर कोई भी विधायक फिर से नहीं चुना जा सका है और हर बार एक अलग ही विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचा है।

तराना सीट पर पिछले 3 दशकों में साल 1998 में मतों के हिसाब से सबसे बड़ी जीत मिली थी, तब कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय ने बीजेपी के डॉ. माधव प्रसाद शास्त्री को 21,700 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2018 में महज 2,209 मतों के अंतर से चुनाव परिणाम सामने आया था। 2018 के चुनाव में कांग्रेस के महेश परमार ने जीत हासिल की थी।

2018 के चुनाव की बात करें तो तराना विधानसभा सीट पर तब 10 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला था, जिसमें मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहा। बीजेपी के अनिल फिरोजिया को 65,569 वोट मिले तो कांग्रेस के महेश परमार को 67,778 वोट मिले, इस तरह से परमार ने कांटेदार मुकाबले में फिरोजिया को 2,209 मतों के अंतर से पराजित कर दिया।

तब के चुनाव में तराना में कुल वोटर्स की संख्या 1,69,061 थी, जबकि कुल 1,38,141 (82.9%) पड़े. विधानसभा सीट को लेकर यदि 31 जुलाई 2023 तक प्रशासनिक आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो यहां पर कुल मतदाता 1,84,133 हैं, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 93,690 तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 90,437 और थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या कुल 6 है।

तराना सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर 1990 में जनता पार्टी को जीत मिली थी। साल 1993 के चुनाव में बीजेपी के माधव प्रसाद शास्त्री इस विधानसभा से विधायक चुने गए, लेकिन जब पार्टी ने उन्हें 1998 में दूसरी बार चुनावी मैदान में उतारा तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा। ऐसा ही कुछ 1998 में तराना से विधायक चुने गए कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय के साथ हुआ।

बाबूलाल ने विधायक रहने के बाद विधानसभा चुनाव 2003 और 2008 में यहीं से चुनाव लड़ा लेकिन क्षेत्र की जनता ने उन्हें नकार दिया। उनकी जगह दोनों ही बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को यहां से जीत मिली। यही कहानी साल 2013 में भी दोहराई गई जब बीजेपी के अनिल फिरोजिया विधायक चुन लिए गए लेकिन साल 2018 में पार्टी ने उन्हें फिर इस सीट से चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया तो उन्हें कड़े मुकाबले में 2,209 मतों के अंतर हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि यह अलग है कि विधानसभा में चुनाव हारने के बाद अनिल फिरोजिया जब 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़े तो उन्हें जीत मिली।

बताया जाता है कि इस क्षेत्र में गुर्जर, ठाकुर और मालवीय समाज का अधिपत्य है, जो कि हमेशा ही यहां के चुनावों में निर्णायक की भूमिका में रहता है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी ने यहां से ताराचंद गोयल को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है, जो कि साल 2003 के चुनाव में विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से वर्तमान विधायक महेश परमार भी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं और उनके कमलनाथ के करीबी होने से उनका टिकट फाइनल भी माना जा रहा है।

तराना विधानसभा पहचान यहां के अतिप्राचीन तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर से होती है। जिसका जीर्णोद्धार अहिल्याबाई ने करवाया था। उनके द्वारा यहां एक तालाब का निर्माण भी करवाया गया था, जो कि वर्तमान में जलस्त्रोत का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इस मंदिर के बारे मे यह भी कहा जाता है कि यह दत्त अखाड़ा से संबंधित मंदिर है इसके साथ ही क्षेत्र में कोटेश्वर महादेव मंदिर करेड़ी माता मंदिर भी प्रमुख है।

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