
Jammu-Kashmir News : जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद से जुड़े होने के आरोप में तीन सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. जांच में सामने आया कि ये कर्मचारी लश्कर-ए-तैयबा और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के लिए काम कर रहे थे.
अगस्त 2020 में पदभार संभालने के बाद से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रूख अपनाया है. उन्होंने न केवल सक्रिय आतंकवादियों, बल्कि उनके सहायक नेटवर्क- जैसे ओवरग्राउंड वर्कर और सरकारी संस्थानों में छिपे समर्थक- को भी निशाना बनाकर आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को कमजोर करने को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल किया है.
सरकार को सख्त कदम उठाने का अधिकार
इन तीन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत की गई है. इसके तहत अगर कोई कर्मचारी सरकारी संस्थानों में आतंकवाद को बढ़ावा देने में शामिल है और वह प्रशासन की चल रही कार्रवाई का हिस्सा है, तो उसके खिलाफ सबूत मिलने पर सरकार को सख्त कदम उठाने का अधिकार है.
आतंकवादी संगठनों को सहायता कर रहे थे
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा 3 जून को बर्खास्त किए गए तीन कर्मचायियों में मलिक इश्फाक नसीर, जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल, एजाज अहमद, स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक और वसीम अहमद खान, सरकारी मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में जूनियर असिस्टेंट शामिल हैं. तीनों व्यक्तियों पर आरोप है कि वे आतंकवादी संगठनों को सुरक्षा बलों और आम नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी संगठनों को सहायता कर रहे थे.
हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में मदद की
साल 2007 में पुलिस में भर्ती हुए कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर को एक आतंकी संगठन लश्कर- ए-तैयबा का सक्रिय सहयोगी पाया गया. उसका भाई मलिक आसिफ नसीर पाकिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर का आतंकवादी था जो साल 2018 में मारा गया था. मलिक ने पुलिस बल में सेवा करते हुए संगठन का समर्थन करना जारी रखा, हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में मदद की.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 15 फरवरी 2025 को भी तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आदेश दिया था. सरकारी सेवा से बर्खास्त होने वाले कर्मचारी में पुलिस कॉन्स्टेबल फिरदौस अहमद भट, टीचर मोहम्मद अशरफ भट और फॉरेस्ट डिपाट्रमेंट में अर्दली निसार अहमद खान का नाम शामिल है.
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