
Shubhanshu Space Mission : अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत एक मील का पत्थर हासिल करने वाला है. भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्जियोम-4 मिशन के तहत अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से आज अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हो चुके हैं. राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला भारत की ओर से अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं. शुभांशु अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन बिताने वाले हैं.
एक्जियोम-4 मिशन में कौन-कौन हैं शामिल
एक्जियोम-4 मिशन की बात की जाए तो इस अंतरिक्ष मिशन में भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के साथ अमेरिका, पौलेंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं. इस अंतरिक्ष मिशन में 60 वैज्ञानिक प्रयोग होने हैं, जो 31 देशों का प्रतिनिधित्व करेंगे. जिनमें भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, ब्राज़ील, नाइजीरिया, यूएई और यूरोप के कई देश शामिल हैं. इस मिशन में माइक्रोग्रैविटी में जैविक अनुसंधान, पृथ्वी अवलोकन और मानव शरीर पर प्रभाव जैसे विषयों पर अध्ययन किया जाएगा.
शुभांशु शुक्ला ने देशवासियों के लिए दिया संदेश
अंतरिक्ष मिशन के लॉन्च होने के 10 मिनट बाद शुभांशु ने देशवासियों के लिए संदेश जारी करते हुए कहा है , ‘नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों। हम 41 वर्षों बाद पुनः अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं. यह एक यादगार यात्रा है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से पृथ्वी के चक्कर काट रहे हैं. मेरे कंधों पर भारतीय तिरंगा लगा हुआ है. यह तिरंगा मुझे बता रहा है कि इस अंतरिक्ष यात्रा मे मैं अकेला नहीं हूं, आप सभी देशवासी मेरे साथ हैं.’
शुभांशु की इस अंतरिक्ष यात्रा पर पिता ने क्या कहा
शुभांशु शुक्ला की इस अंतरिक्ष यात्रा पर उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला ने खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. मैं भगवान का धन्यवाद करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि उसका यह मिशन सफल रहे, भगवान उसे आशीर्वाद दें.
मिशन को सफल प्रक्षेपण से पहले कई बार टाला गया
एक्जियोम-4 मिशन को सफल प्रक्षेपण से पहले कई बार टालना पड़ा है. इस मिशन का प्रक्षेपण पहले 29 मई को होना था, लेकिन फाल्कन-9 रॉकेट के बूस्टर में तरल ऑक्सीजन के रिसाव और अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पुराने रुसी मॉड्यूल में भी रिसाव होने का पता चला तो प्रक्षेपण को 8 जून, 10 जून और फिर 11 जून के लिए टाल दिया गया. प्रक्षेपण को पुनः 19 जून के लिए टाला गया तथा रुसी मॉड्यूल में मरम्मत के बाद कक्षीय प्रयोगशाला के संचालन का आकलन करने के लिए 22 जून को प्रक्षेपण की तिथि को तय किया गया.
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