
Himachal Pradesh : हिमाचल प्रदेश में नौकरियों को खत्म करने की सरकार की अधिसूचना को लेकर सरकार ने यू टर्न ले लिया है। इसका ठीकरा मीडिया पर फोड़ते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार ने 20 साल से खाली चल रहे अनावश्यक पदों को खत्म करने का फैसला लिया है। इनकी जगह जरुरत के मुताबिक पद सृजित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसकी अधिसूचना अलग से निकाली गई है। हालांकि अधिसूचना में दो साल या इससे अधिक समय से खाली चल रहे पदों को खत्म करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन, मुख्यमंत्री 20 साल कह रहे हैं जो अपने आप में विरोधाभास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन पदों की हमें जरूरत नहीं, टाइपिस्ट क्लर्क जैसे पद ही खत्म किए गए हैं। इसी के साथ नए पदों को सृजित करने की भी अधिसूचना जारी की गई है। हिमाचल की अधिसूचनाओं को लेकर मीडिया बेवजह तूल दे रहा है। प्रदेश सरकार ने दो साल में 19 हज़ार पद भरे है। सरकार युवा विरोधी नहीं है। जबकि चुनावी घोषणा के मुताबिक कांग्रेस ने एक साल में 1 लाख नौकरियां देने की गारंटी दी थी।
1 लाख 50 हजार पदों का चल रहा बैकलॉग
दरअसल, अधिसूचना में सरकारी विभागों में दो साल से जितने भी पद नहीं भरे गए हैं, उन पर अब कोई भर्ती नहीं होगी और ये पद अब खत्म करने के आदेश जारी किए गए हैं। वित्त विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार की तरफ से ऐसे आदेश सभी विभागों को भेजे गए हैं।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में लगभग 1 लाख 50 हजार पदों का बैकलॉग चल रहा है। ऐसे में करीब 40 फीसदी पद इस आदेश के तहत आयेंगे। वैसे भी कांग्रेस पार्टी ने अपने गारंटी पत्र में पांच लाख नौकरियों को देने का वायदा किया था और पहली ही केबिनेट में एक लाख नौकरी देने की गारंटी दी थी। लेकिन, दो साल में केवल 19 हजार नौकरी सरकार दे पाई है जिसे सीएम सुक्खू ख़ुद स्वीकार रहे हैं। हिमाचल में पहले ही बेरोजगारों का आंकड़ा बढ़ रहा है और मौजदा समय में 13 लाख के लगभग बेरोजगार हैं।
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