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हरियाणा सरकार ने वित्तीय स्थिति को लेकर दी सफाई, कहा- श्वेत पत्र की जरूरत नहीं

Haryana News : हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि राज्य के ऋण और वित्तीय आंकड़े हर साल नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में प्रकाशित किए जाते हैं। ऐसे में श्वेत पत्र (White Paper) लाने की कोई आवश्यकता नहीं है। सरकार ने बताया कि राज्य की वित्तीय स्थिति पारदर्शी और नियंत्रित है।

बिजली कंपनियों के कर्ज पर बड़ा कदम

सरकार ने बताया कि वर्ष 2004-05 में पावर कंपनियों का ऋण मात्र ₹1,337 करोड़ था, जो 2014-15 में बढ़कर ₹31,553 करोड़ हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लागू की गई उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY) के तहत ₹25,950 करोड़ का कर्ज 8.2% ब्याज दर पर टेकओवर किया गया, जिससे ₹6,197 करोड़ का ब्याज बचा।

सरकार ने कहा कि वर्ष 2024-25 तक ₹20,030 करोड़ का मूलधन और अब तक का संपूर्ण ब्याज चुका दिया जाएगा। इसके अलावा, उदय योजना की देनदारी 2023-24 में ₹6,536 करोड़ थी, जो 2026-27 में घटकर मात्र ₹1,800 करोड़ रह जाएगी।

राज्य के कर्ज पर सरकार का पक्ष

राज्य सरकार ने कहा कि 2004-05 में हरियाणा का कुल कर्ज ₹17,347 करोड़ था, जो 2014-15 में पांच गुना बढ़कर ₹96,875 करोड़ हो गया। इसके विपरीत, 2014-15 से 2024-25 के बीच यह कर्ज मात्र तीन गुना बढ़ा है, जो नियंत्रित वित्तीय प्रबंधन को दर्शाता है।

सरकार ने बताया कि 1999-2004 के बीच राज्य की ऋण वृद्धि दर (CAGR) 18.15% थी, जो 2004-2014 में घटकर 15.12% हो गई। वर्ष 2015-2026 तक यह दर और कम होकर 13.25% रह गई, जिससे साफ है कि कर्ज वृद्धि नियंत्रित हो रही है।

कैपिटल आउटले और विकास योजनाएं

सरकार ने बजट 2025-26 में कैपिटल आउटले ₹16,164 करोड़ बताया, लेकिन अनुदान, ऋण और रखरखाव कार्यों को मिलाकर यह ₹30,126 करोड़ हो जाता है, जो कुल बजट का 14.69% है।

सरकार ने यह भी बताया कि Asset Management Cell के तहत 2025-26 में पूंजीगत संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाएगा, जिससे राज्य को वित्तीय मजबूती मिलेगी।

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